भारतीय सिनेमा के प्रख्यात निर्देशक श्याम बेनेगल का निधन हो गया है। वे 90 वर्ष के थे। श्याम बेनेगल राज्यसभा के नामित सदस्य भी रह चुके थे। उनका पूरा नाम श्यामसुंदर श्रीधर बेनेगल था। उनका जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद के त्रिमुलागिरी में हुआ था।
श्याम बेनेगल के पिता श्रीधर बेनेगल एक छायाचित्रकार थे, जिससे उनका झुकाव बचपन से ही फिल्मों की ओर हो गया था। उनके परिवार ने उनकी रुचि को हमेशा प्रोत्साहित किया। बचपन में वे प्रभात, मेहबूब और न्यू थिएटर्स जैसे स्टूडियो द्वारा बनाए गए फिल्में बड़े चाव से देखते थे। यही से उन्होंने सिनेमा को अपने करियर के रूप में अपनाने का निर्णय लिया।
श्याम बेनेगल की सिनेमाई यात्रा
बेनेगल ने 1974 में आई फिल्म अंकुर के जरिए सामाजिक और जातिगत मुद्दों पर आधारित सिनेमा की शुरुआत की। इस फिल्म में ग्रामीण भारत की जटिलताओं को दिखाया गया था। फिल्म को दर्शकों और आलोचकों से काफी सराहना मिली और इसे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इसके बाद उन्होंने निशांत (1975), मंथन (1976), जुनून (1979), कलयुग (1981), मंडी (1983), त्रिकाल (1985), मम्मो (1994), सरदारी बेगम (1996), नेताजी सुभाष चंद्र बोस (2005), वेलकम टू सज्जनपुर (2008) जैसी कई यादगार फिल्मों का निर्देशन किया। उनकी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों और मानवीय संवेदनाओं का गहराई से चित्रण देखने को मिलता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
2023 में श्याम बेनेगल ने भारत और बांग्लादेश के फिल्म निगमों द्वारा निर्मित फिल्म मुजीब: द मेकिंग ऑफ ए नेशन का निर्देशन किया। यह फिल्म बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान के जीवन और बांग्लादेश के निर्माण पर आधारित थी।
सम्मान और पुरस्कार
श्याम बेनेगल को कला और सिनेमा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया। इनमें 2013 का कलामहर्षि बाबूराव पेंटर जीवन गौरव पुरस्कार, पद्मश्री, पद्मविभूषण, दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, और 2018 का चित्रपती व्ही. शांताराम जीवन गौरव पुरस्कार शामिल हैं।
सिनेमा को दी नई दिशा
श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा को सामाजिक मुद्दों पर आधारित नई दिशा दी। उनकी फिल्मों में यथार्थ और संवेदनशीलता का अनोखा संगम था। उनके निधन से सिनेमा जगत में एक अपूरणीय क्षति हुई है।