शाही मस्जिद और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जिसमें मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में जाने का निर्देश दिया। मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित मानते हुए फटकार लगाई।
मामला तब शुरू हुआ जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना। इस फैसले को मुस्लिम पक्ष ने चुनौती देते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि हाईकोर्ट का यह फैसला अनुचित है और इसे खारिज किया जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि मुस्लिम पक्ष को पहले हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में जाना चाहिए था, बजाय इसके कि वे सीधे सुप्रीम कोर्ट आएं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिम पक्ष के खिलाफ एक नोटिस जारी किया और उनसे यह बताने को कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती क्यों नहीं दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम पक्ष ने कानूनी प्रक्रिया का पालन न करके सीधे सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, जो उचित नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को तय की है और मुस्लिम पक्ष को तब तक हाईकोर्ट में डबल बेंच के समक्ष जाने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हिंदू पक्षकारों और साधु-संतों ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि यह फैसला श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए सकारात्मक संकेत है। महामंडलेश्वर त्रिशूल बाबा ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह साबित करे कि उनके पास विवादित ढांचे का मालिकाना हक है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष इस मामले को अनावश्यक रूप से लटकाने की कोशिश कर रहा है।
साधु-संतों ने भी इस फैसले का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि बहुत जल्द ठाकुर केशव देव जी का भव्य मंदिर वहां बनाया जाएगा। उनका कहना है कि यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है, और विवादित ढांचा वहीं पर स्थित था जहां मंदिर तोड़ा गया था। साधु-संतों ने मुस्लिम पक्ष से इस सत्य को स्वीकार करने की अपील की है, जिससे हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्पष्ट करते हुए कहा है कि कानून की प्रक्रिया का पालन किया जाना आवश्यक है। मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में जाना चाहिए था, और अब उन्हें यह विकल्प दिया गया है कि वे 4 नवंबर तक वहां अपनी याचिका दाखिल करें। इस बीच, हिंदू पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है और उम्मीद जताई है कि जल्द ही इस विवाद का समाधान होगा।
कुल मिलाकर, यह मामला अभी भी कानूनी प्रक्रिया में है और दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। आगामी सुनवाई में कोर्ट का क्या रुख होगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन फिलहाल हिंदू पक्ष में उत्साह और मुस्लिम पक्ष में निराशा है।