महाराष्ट्र में महिला मुख्यमंत्री की मांग: कांग्रेस ने खेला बड़ा दांव, सियासी हलचल तेज
महाराष्ट्र में चुनावी चकल्लस से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है। इस बीच मुंबई कांग्रेस की अध्यक्ष और सांसद वर्षा गायकवाड़ ने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए महाराष्ट्र में महिला मुख्यमंत्री की पैरवी की है। वर्षा का कहना है कि महाराष्ट्र प्रगतिशील राज्य होने के बावजूद, यहां आज तक किसी महिला को मुख्यमंत्री की कमान नहीं सौंपी गई है, जबकि देश के अन्य राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में महिलाएं मुख्यमंत्री पद पर रह चुकी हैं।
64 साल में 20 मुख्यमंत्री, लेकिन कोई महिला नहीं
महाराष्ट्र के 64 साल के सियासी इतिहास में अब तक 20 मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन इनमें एक भी महिला नहीं रही। राज्य में अब तक 6 पार्टियों ने शासन किया है, लेकिन किसी भी पार्टी ने महिला को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय नहीं लिया। 1960 में महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हाण से लेकर वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे तक, हर बार पुरुष ही मुख्यमंत्री बने हैं।
महिला मुख्यमंत्री की मांग क्यों?
वर्षा गायकवाड़ ने सवाल उठाया कि क्यों प्रगतिशील माने जाने वाले महाराष्ट्र में अब तक किसी महिला को मुख्यमंत्री की कमान नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि राज्य में काबिल महिला नेताओं की कमी नहीं है, फिर भी उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा है। वर्षा का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में सत्ता और विपक्ष दोनों तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान चल रही है।
महिला मुख्यमंत्री की मांग का इतिहास
महाराष्ट्र में महिला मुख्यमंत्री की मांग कोई नई बात नहीं है। 1994 में भी महिला मुख्यमंत्री की मांग उठी थी, जब शरद पवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पंचायत और निकाय चुनावों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कानून लाया था। इसके बाद, 2018 में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी, लेकिन तब भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
सियासी पार्टियों की दुविधा
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में महिला नेताओं की कमी का तर्क दिया जा रहा है। एनसीपी (शरद) में सुप्रिया सुले का नाम चर्चा में आया था, लेकिन उन्होंने केंद्र की राजनीति में बने रहने की इच्छा जताई। शिवसेना (ठाकरे) में रश्मि ठाकरे और कांग्रेस में यशोमति ठाकुर और प्रीति शिंदे जैसे नामों की चर्चा हो रही है, लेकिन पुरुष नेताओं की तुलना में इनकी संभावनाएं कम ही मानी जा रही हैं।
महिला वोटबैंक पर नजर
महाराष्ट्र में करीब 9.2 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 48 प्रतिशत महिलाएं हैं। महिलाओं का वोटिंग टर्नआउट औसतन 60 प्रतिशत रहता है, जो करीब 2.5 करोड़ वोटर है। यही कारण है कि वर्तमान में शिंदे सरकार महिलाओं को साधने के लिए लाडली बहना योजना जैसी योजनाएं चला रही है। ऐसे में महिला मुख्यमंत्री की मांग को खारिज करना राजनीतिक दलों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
क्या महाराष्ट्र को मिलेगी पहली महिला मुख्यमंत्री?
वर्षा गायकवाड़ के बयान के बाद यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या महाराष्ट्र को पहली महिला मुख्यमंत्री मिल सकती है? वर्तमान में मुख्यमंत्री पद के लिए विपक्ष में शिवसेना (ठाकरे) की तरफ से उद्धव ठाकरे और सत्ता पक्ष में एकनाथ शिंदे के नाम सबसे आगे हैं। हालांकि, कांग्रेस और एनसीपी (शरद) इस पर चुप्पी साधे हुए हैं।
वर्षा का कहना है कि अगर पार्टियां महिला सीएम बनाने का फैसला कर लें, तो यह मुश्किल नहीं है। उन्होंने रश्मि ठाकरे, सुप्रिया सुले, यशोमति ठाकुर, और प्रीति शिंदे जैसे नामों का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में कई काबिल महिला नेता हैं, जो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो सकती हैं।