असदुद्दीन ओवैसी का प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना: मणिपुर दौरे से दूरी और रूस-यूक्रेन युद्ध पर चिंता
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मणिपुर हिंसा को लेकर तीखे सवाल उठाए हैं। शनिवार (21 सितंबर) को एआईएमआईएम मुख्यालय में एक बैठक को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा नहीं किया, जहां लंबे समय से हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार जारी है, जबकि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए वह प्रयास कर रहे हैं।
ओवैसी ने कहा, “मणिपुर करीब एक साल से जल रहा है। मोदी जी ने यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रूस और यूक्रेन भेजा, लेकिन अपने देश में लगी आग की ओर ध्यान नहीं दिया।” उन्होंने प्रधानमंत्री से मणिपुर की स्थितियों पर तुरंत संज्ञान लेने की अपील की।
आखिर मुसलमानों से इतनी नफ़रत क्यों?
ओवैसी ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार की कथित टिप्पणी की कड़ी आलोचना की, जिसमें उन्होंने मदरसों पर अपने छात्रों को एके-47 राइफल चलाने का प्रशिक्षण देने का आरोप लगाया था। ओवैसी ने पूछा कि मुसलमानों के प्रति इतनी नफरत क्यों है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान दिया है, और मदरसों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए फतवे जारी किए थे।
ओवैसी ने केंद्रीय मंत्री से मणिपुर जाने की मांग की, जहां हाल ही में हिंसा के दौरान पुलिस के हथियार लूट लिए गए थे।
वक्फ संशोधन विधेयक पर चिंता
ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ शब्द को हटाया गया, तो मुसलमानों को उनकी संपत्तियों से वंचित किया जा सकता है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर हिंदू संगठन कब्जा करना है।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए कहा कि संघ नौ लाख एकड़ से अधिक वक्फ संपत्ति का जिक्र करता है, लेकिन हिंदू धर्मादा संपत्तियों का उल्लेख नहीं करता। ओवैसी ने कहा कि इस कानून का मकसद काशी और मथुरा की मस्जिदों को मुसलमानों से छीनना है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस यह दावा करता है कि देश की 30,000 मस्जिदें हिंदुओं की हैं, न कि मुसलमानों की।