गाजीपुर में एनकाउंटर में मारे गए जाहिद उर्फ सोनू पर परिजनों ने लगाया फर्जी मुठभेड़ का आरोप
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सोमवार की आधी रात को पुलिस और एसटीएफ के संयुक्त अभियान में फुलवारी शरीफ निवासी मोहम्मद जाहिद उर्फ सोनू को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया गया है। पुलिस के अनुसार, जाहिद पर आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) के दो जवानों की हत्या सहित कई गंभीर आरोप थे और वह शराब तस्करी में भी शामिल था। पुलिस ने जाहिद पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
हालांकि, जाहिद के परिजनों ने इस एनकाउंटर को फर्जी मुठभेड़ बताते हुए जांच की मांग की है। उनके मुताबिक, जाहिद केवल सब्जी बेचने का काम करता था और उसे पटना से गिरफ्तार कर उत्तर प्रदेश लाया गया था, जहां उसे झूठे आरोपों के तहत मार दिया गया। परिजनों का कहना है कि जाहिद पर लगाए गए सभी आरोप तथ्यहीन और झूठे हैं।
आरपीएफ जवानों की हत्या का मामला
पुलिस का दावा है कि जाहिद उर्फ सोनू ने 20 अगस्त को गुवाहाटी एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे दो आरपीएफ जवानों की हत्या की थी और उनके शवों को ट्रेन से बाहर फेंक दिया था। इसके अलावा, पुलिस ने जाहिद पर शराब तस्करी के भी कई मामले दर्ज किए थे।
परिजनों का आरोप: मुसलमान होने के कारण झूठे आरोप
मोहम्मद जाहिद उर्फ सोनू के पिता मोहम्मद मुस्तफा और भाभी आबरिन ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार, मुसलमान होने के कारण जाहिद को झूठे आरोपों में फंसाया गया और फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया। उनके पिता ने यह भी बताया कि जाहिद कुछ साल पहले एक महिला से अपनी मर्जी से शादी कर घर से अलग हो गया था, और इसी कारण परिवार ने उसे घर से निकाल दिया था।
परिजनों का कहना है कि जाहिद सब्जी बेचकर अपना जीवन यापन कर रहा था, और पुलिस ने एक-एक कर कई फर्जी मामले उस पर थोप दिए। जाहिद के मामा मोहम्मद शमसुद्दीन, जो पटना एसडीएम कार्यालय में द्वारपाल के पद पर कार्यरत हैं, ने भी पुलिस द्वारा घोषित इनाम को झूठा करार दिया है।
परिजनों ने की निष्पक्ष जांच की मांग
जाहिद के परिवार का कहना है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस ने धार्मिक आधार पर उसे निशाना बनाया और फर्जी एनकाउंटर में उसकी जान ले ली। परिवार ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और सच्चाई सामने लाने के लिए न्याय की गुहार लगाई है।
पुलिस ने अपने बयान में जाहिद को एक खतरनाक अपराधी बताया है, जो कई आपराधिक गतिविधियों में लिप्त था। पुलिस का कहना है कि जाहिद पर कई मामलों में वारंट जारी थे और उसकी गिरफ्तारी के लिए लंबे समय से प्रयास किया जा रहा था। पुलिस के अनुसार, जाहिद को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम ने अभियान चलाया, जिसमें उसकी मौत एनकाउंटर के दौरान हुई।
इस मामले ने उत्तर प्रदेश में फिर से पुलिस एनकाउंटर की वैधता पर सवाल खड़ा कर दिया है। एक ओर पुलिस जाहिद को खतरनाक अपराधी बता रही है, वहीं दूसरी ओर परिजन इस एनकाउंटर को फर्जी मुठभेड़ करार दे रहे हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस घटना की जांच कैसे आगे बढ़ती है और क्या न्याय की प्रक्रिया निष्पक्ष रहती है या नहीं।