दक्षिणी दिल्ली में दर्दनाक घटना: एक शख्स ने अपनी चार दिव्यांग बेटियों के साथ की आत्महत्या
दक्षिणी दिल्ली के रंगपुरी गांव में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है, जहां 50 वर्षीय हीरालाल ने अपनी चार दिव्यांग बेटियों को सल्फास खिलाकर खुद भी आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शुक्रवार को फ्लैट का ताला तोड़कर शवों को बाहर निकाला। यह घटना कई दिनों पुरानी बताई जा रही है, जब पड़ोसियों ने घर से बदबू आने की शिकायत की। पुलिस को घटना स्थल पर हीरालाल और उसकी चार बेटियों के शव मिले।
हीरालाल की परिवारिक स्थिति
हीरालाल मूल रूप से बिहार के छपरा जिले के मसरख गांव का रहने वाला था और अपनी चार बेटियों के साथ रंगपुरी गांव में एक किराये के फ्लैट में रहता था। उसकी पत्नी सुनीता की कैंसर के कारण पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। उनकी चारों बेटियां – 18 वर्षीय नीतू, 15 वर्षीय निशि, 10 वर्षीय नीरू और 8 वर्षीय निधि – दिव्यांग थीं और चलने-फिरने में असमर्थ थीं। हीरालाल एक अस्पताल में कारपेंटर के रूप में काम करता था और अपनी बेटियों की देखभाल अकेले ही कर रहा था।
आत्महत्या के पीछे का कारण
पुलिस के अनुसार, हीरालाल अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद से मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी टूट चुका था। पत्नी की मृत्यु के बाद, उनकी चारों दिव्यांग बेटियों की देखभाल का पूरा जिम्मा हीरालाल पर आ गया था। वह सुबह बेटियों को खाना खिलाकर नौकरी पर जाता था, और जब तक वापस नहीं आता, बेटियां भूखी-प्यासी बिस्तर पर पड़ी रहती थीं। घर की आर्थिक तंगी, बेटियों की देखभाल और नौकरी के दबाव ने उसे धीरे-धीरे अवसाद की ओर धकेल दिया। पुलिस को फिलहाल कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, लेकिन बेटियों की दिव्यांगता को आत्महत्या की मुख्य वजह माना जा रहा है।
पुलिस की जांच और साक्ष्य
घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मौके से सल्फास के रैपर और भोजन के नमूने इकट्ठे किए। हीरालाल का शव बिस्तर पर मिला, जबकि उसकी बेटियों के शव दूसरे कमरे में पड़े थे। पुलिस ने हीरालाल के बड़े भाई जोगिंदर को घटना की जानकारी दी, जिसे सुनकर पूरा परिवार सदमे में है। पुलिस ने मकान मालिक, केयरटेकर और अन्य छह लोगों के बयान दर्ज किए हैं और हीरालाल के मोबाइल को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। पोस्टमॉर्टम के बाद शवों को विसरा जांच के लिए भेजा जाएगा।
आसपास के लोग सहमे हुए
इमारत के केयरटेकर शैलेंद्र ने बताया कि हीरालाल का परिवार पिछले आठ साल से चौथी मंजिल के फ्लैट में रह रहा था। यह परिवार अपनी परेशानियों के कारण कम ही लोगों से घुलता-मिलता था। पड़ोसियों के अनुसार, हीरालाल को आखिरी बार 24 सितंबर को देखा गया था। उसके बाद से परिवार का कोई अता-पता नहीं चला। पुलिस को घटना की सूचना तब मिली जब पड़ोसियों ने घर से बदबू आने की शिकायत की।
समाज पर सवाल और दर्दनाक घटना की ओर इशारा
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर समाज में मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक दबावों की गंभीरता को उजागर किया है। हीरालाल ने अपनी चार दिव्यांग बेटियों की देखभाल में अपना सब कुछ झोंक दिया, लेकिन अंततः अवसाद ने उसे और उसके परिवार को निगल लिया। पुलिस सभी एंगल से इस घटना की जांच कर रही है, लेकिन यह घटना समाज के उन परिवारों की समस्याओं की ओर इशारा करती है जो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक दबावों से गुजर रहे हैं।