झारखंड में NRC लागू होते ही मुसलमानो को धक्के मारकर बाहर निकालेंगे? हिमंत बिस्वा का बयान
असम के मुख्यमंत्री और झारखंड चुनाव में भाजपा के सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने 28 सितंबर को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर झारखंड में बीजेपी की सरकार बनती है, तो राज्य में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (NRC) लागू किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों का नाम NRC में नहीं होगा, उन्हें “बांग्लादेश तक धक्का मार-मारकर भेजा जाएगा।”
NRC लागू करने की प्रक्रिया और प्रावधान
हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि सभी नागरिकों को NRC प्रक्रिया के दौरान अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने का पूरा अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा, “अगर कोई व्यक्ति अपने भारतीय होने का प्रमाण नहीं दे पाता है, तो उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत बांग्लादेश भेज दिया जाएगा।” यह प्रक्रिया वैज्ञानिक होगी और सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूरी दी है।
सरमा ने कहा कि झारखंड में पिछले कुछ समय से बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोग वोटर लिस्ट में शामिल हो रहे हैं, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट की पूरी जांच 2001 से की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति यह साबित कर पाता है कि उनका नाम पहले की लिस्ट में शामिल था, तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। लेकिन, जो लोग 2024 या 2021 में नए वोटर बने हैं, उन्हें अपनी नागरिकता का प्रमाण देना होगा।
स्थानीय लोगों के लिए कोई चिंता नहीं
हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी स्पष्ट किया कि झारखंड के आदिवासी और मूल निवासी लोगों को इस प्रक्रिया में कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा, “जो झारखंड का आदिवासी है, मूलवासी है, उन्हें जज भी नहीं किया जाएगा। सिर्फ हाल ही में वोटर लिस्ट में शामिल होने वाले लोगों की जांच की जाएगी।”
झारखंड की बदलती जनसांख्यिकी पर चिंता
झारखंड की बदलती जनसांख्यिकी के बारे में चर्चा करते हुए सरमा ने कहा कि कई क्षेत्रों में जनसंख्या का असंतुलन हो गया है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने पाकुड़ का जिक्र किया, जहाँ पहले हिंदू विधायक होते थे, लेकिन अब वहां हिंदू लोग चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बढ़ती घुसपैठ के कारण यह बदलाव हो रहा है।
घुसपैठियों को निकालने के लिए NRC की आवश्यकता
सरमा ने जोर देकर कहा कि झारखंड में घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए NRC लागू करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि असम में NRC के पहले चरण में 14-15 लाख लोग गैर-भारतीय पाए गए हैं, और सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि इस प्रक्रिया को दोबारा किया जाए ताकि और अधिक घुसपैठियों की पहचान की जा सके।
राजनीतिक रणनीति या सुरक्षा उपाय?
बीजेपी के इस ऐलान के बाद, झारखंड में NRC को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। विरोधी दल इसे बीजेपी की चुनावी रणनीति मान रहे हैं, जिससे हिंदू वोट बैंक को मजबूत किया जा सके। वहीं, बीजेपी का दावा है कि यह कदम देश की सुरक्षा और जनसांख्यिकी संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है।
NRC लागू करने की योजना से झारखंड में राजनीतिक माहौल गरमा सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा किस तरह से चुनावी परिणामों को प्रभावित करता है।