छत्तीसगढ़ में फर्जी SBI शाखा का पर्दाफाश: बेरोजगारों से लाखों की ठगी, मास्टरमाइंड फरार
छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के छपोरा गांव में एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें कुछ अपराधियों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक फर्जी शाखा खोलकर गांव के लोगों को ठगा। यह मामला कुछ हद तक फिल्म ‘स्पेशल 26’ की कहानी से मिलता-जुलता है, जहां अपराधी नकली CBI टीम बनाकर ठगी करते हैं। लेकिन यहां अपराधियों ने रियल लाइफ में पूरा का पूरा फर्जी बैंक तैयार कर लिया। यह वारदात छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार देखने को मिली है और इसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
छपोरा गांव रायपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर है। यहां 10 दिन पहले SBI की एक नई शाखा खुली, जिसे देखकर ग्रामीण बेहद खुश हुए। लोग बैंक में खाता खुलवाने और लेन-देन के बारे में जानकारी लेने के लिए आने लगे। यहां तक कि कुछ लोग नौकरी के लिए भी पहुंचे और इस फर्जी शाखा में छह लोगों को नौकरी भी दी गई। बैंक के अंदर सभी चीजें, जैसे फर्नीचर, कागजात और काम करने का तरीका एकदम असली बैंक जैसा दिख रहा था।
हालांकि, 27 सितंबर को बैंक के कर्मचारियों से पूछताछ करने के लिए पुलिस और SBI के आला अधिकारी पहुंचे, जिससे सारा मामला खुलकर सामने आया। इससे पहले की फर्जी मैनेजर और अन्य कर्मचारी पकड़े जाते, वे वहां से फरार हो गए। इस बैंक में नौकरी पाने वाले लोग ठगी के शिकार हो गए और लाखों रुपये गवां बैठे।
कैसे हुआ शक?
इस मामले की सबसे पहली शिकायत ग्रामीण अजय कुमार अग्रवाल ने की। उन्होंने बताया कि उन्होंने छपोरा गांव में SBI कियोस्क के लिए आवेदन किया था, लेकिन जब उन्हें पता चला कि वहां रातों-रात SBI की नई शाखा खुल गई है, तो उन्हें शक हुआ। अजय का नजदीकी SBI ब्रांच डबरा में था, इसलिए उन्होंने डबरा ब्रांच मैनेजर को इसकी जानकारी दी। जब मैनेजर ने मौके पर आकर जांच की, तो पता चला कि यह पूरी शाखा फर्जी है। शाखा के बोर्ड पर कोई कोड नहीं था, जो कि किसी भी असली बैंक ब्रांच में होता है।
कैसे दी गईं फर्जी नियुक्तियां?
अपराधियों ने बेरोजगार लोगों को अपना निशाना बनाया। उन्होंने कई लोगों को फर्जी नौकरियां दीं, जिनमें से एक ज्योति यादव ने बताया कि उन्हें छपोरा गांव में बैंक में ले जाया गया, जहां उनके दस्तावेज लिए गए और बायोमैट्रिक प्रिंट भी तैयार किया गया। उन्हें 30,000 रुपये सैलरी देने का वादा किया गया था और ऑनलाइन फॉर्म भरवाया गया था। कुछ दिनों बाद उन्हें जॉब का ऑफर लेटर भी मिला।
इसी तरह संगीता नाम की एक और कथित कर्मचारी ने बताया कि उन्हें 13 अक्टूबर को जॉइन करने के लिए बुलाया गया था। इसके बाद कई और लोगों ने भी पुलिस को अपने साथ हुई ठगी की कहानी बताई। इन लोगों ने नौकरी के लिए अपनी ज्वाइनिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली थी और कुछ दिनों के लिए ट्रेनिंग भी दी गई थी।
कितना बड़ा था फर्जीवाड़ा?
इस फर्जी बैंक शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर, कैशियर, मैनेजर, और प्यून जैसे पदों पर नौकरियां दी गई थीं। प्रत्येक व्यक्ति से ठगों ने अलग-अलग रकम वसूली। उदाहरण के लिए, पिंटू धुर्वे ने बताया कि उसने नौकरी के बदले 6 लाख रुपये दिए थे, जबकि संगीता से ढाई लाख रुपये और ज्योति यादव से 2 लाख रुपये लिए गए थे।
ठगों का नेटवर्क
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि इस ठगी के पीछे एक संगठित गिरोह है, जिसमें कई लोग शामिल हैं। फिलहाल पुलिस ने रेखा साहू, मंधीर दास और पंकज नाम के लोगों को इस मामले में संलिप्त पाया है। पंकज ने खुद को इस फर्जी बैंक का मैनेजर बताया था। पुलिस अभी और नामों की जांच कर रही है, जो इस जालसाजी के केंद्र में हो सकते हैं।
निष्कर्ष
इस घटना ने यह दिखाया कि कैसे बेरोजगारी का फायदा उठाकर लोग ठगी का शिकार बन रहे हैं। जो लोग नौकरी की तलाश में थे, वे अब पुलिस थानों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। फिलहाल, पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है और जांच चल रही है। ठगों का नेटवर्क कितना बड़ा है और वे कब पकड़े जाएंगे, यह भविष्य के गर्भ में है।