हरियाणा चुनाव: कांग्रेस की बड़ी बढ़त, बीजेपी सत्ता बचाने में मुश्किल, एक्जिट पोल में स्पष्ट जीत का अनुमान
हरियाणा विधानसभा चुनाव के मतदान पूरे हो चुके हैं, और एक्जिट पोल के आंकड़े भी सामने आ गए हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के नेता और लोकसभा के विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी ने अंतिम चरण में तीन दिन तक लगातार रुककर कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीजेपी के उम्मीदवारों को जिताने के लिए अपील की।
लोकसभा चुनावों में बीजेपी को मिली पिछड़ी स्थिति और विपक्षी “इंडिया” गठबंधन की बढ़ती ताकत को देखते हुए, कई विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बीजेपी को लगातार तीसरी बार सत्ता बनाए रखने में मुश्किलें होंगी। वहीं, कांग्रेस को जाट, मुस्लिम, और दलित मतों के समर्थन के आधार पर सत्ता में आने की उम्मीद जताई जा रही है। आम आदमी पार्टी भी इस चुनाव में ताल ठोक रही है, जिससे वोटों के विभाजन के कारण समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।
रिपब्लिक के एक्जिट पोल के अनुसार, कांग्रेस को हरियाणा में स्पष्ट जीत मिलने का अनुमान है:
- आम आदमी पार्टी: 0 सीटें
- बीजेपी: 18-24 सीटें
- कांग्रेस: 55-62 सीटें
- इनेलो और बसपा गठबंधन: 3-6 सीटें
हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को एक ही चरण में मतदान हुआ। चुनाव के परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। उसी दिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा का परिणाम भी सामने आएगा।
किसान आंदोलन और पहलवानों के विरोध को ठीक से संभालने में बीजेपी को हुई नाकामी का असर चुनाव नतीजों पर पड़ने की संभावना है। पिछले 10 सालों से हरियाणा में बीजेपी सत्ता में है, लेकिन इस बार सरकार-विरोधी लहर चल रही है। किसान आंदोलन और पहलवानों के मुद्दों पर बीजेपी की नीतियों के कारण मतदाताओं का गुस्सा बढ़ा है, जिससे कांग्रेस को सरकार बनाने का अवसर मिल सकता है।
बीजेपी की सरकार-विरोधी भावना को भांपते हुए, चुनाव से कुछ महीने पहले ही पार्टी ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को राज्य की जिम्मेदारी सौंपी। इससे नेतृत्व में बदलाव के जरिए बीजेपी ने विरोधी भावनाओं को कम करने की कोशिश की।
हरियाणा की जातिगत समीकरण भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। किसान आंदोलन को लेकर जाट समुदाय कांग्रेस के पक्ष में झुका दिख रहा है। कांग्रेस ने जाट, मुस्लिम, और दलित वोटों के जरिए बीजेपी को हराने की रणनीति बनाई है। कांग्रेस ने जाट, ओबीसी, दलित, पंजाबी हिंदू, सिख, ब्राह्मण, मुस्लिम, बनिया, राजपूत, बिश्नोई और रोर समुदायों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया है, जबकि बीजेपी ने ओबीसी, जाट, ब्राह्मण, पंजाबी हिंदू, बनिया और मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
हालांकि, कांग्रेस के भीतर गुटबाजी भी एक बड़ी चुनौती रही है। प्रमुख नेताओं भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और उदय भान के बीच आपसी मतभेद कांग्रेस की जीत में अड़चन पैदा कर सकते थे, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने समय पर हस्तक्षेप करके आंतरिक मतभेदों को संभाल लिया।
इस बार चुनाव में किसानों में बीजेपी के खिलाफ गहरी नाराजगी है, जबकि बीजेपी के जातीय और सामाजिक समीकरण वैसा असर नहीं दिखा पाए हैं।