नारायणपुर: छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों का बड़ा ऑपरेशन, 31 नक्सलियों का खात्मा
नारायणपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर सुरक्षा बलों ने एक बड़ा ऑपरेशन किया, जिसमें 31 नक्सलियों को मार गिराया गया। यह छत्तीसगढ़ के 24 साल के इतिहास में नक्सलवादियों के खिलाफ सबसे बड़ा ऑपरेशन साबित हुआ है। सर्वपितृ अमावस्या की काली रात में, सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के गढ़ में प्रवेश कर इस सफल अभियान को अंजाम दिया।
इस ऑपरेशन को सफल बनाने में दो प्रमुख अधिकारियों की अहम भूमिका रही। इनमें से एक दंतेवाड़ा में नक्सल विरोधी ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभालने वाले अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्मृतिक राजनाला थे, जबकि दूसरे अधिकारी डीएसपी प्रशांत देवांगन थे, जिन्होंने नारायणपुर में अपनी टीम के साथ नक्सलियों का खात्मा किया।
गुप्त सूचना और ऑपरेशन की शुरुआत
गुप्तचर एजेंसियों को दंतेवाड़ा मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर तुलतुली गांव के पास भारी संख्या में नक्सलियों के मौजूद होने की सूचना मिली थी। यह नक्सली पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी (DKSZC) के सदस्य थे। सुरक्षा बलों ने यह जानकारी मिलते ही ऑपरेशन की योजना बनाई।
सुरक्षा बलों ने पहले 10 किलोमीटर तक मोटरसाइकिल से यात्रा की, इसके बाद जवानों ने करीब 12 किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता पैदल तय किया। इस दौरान उन्हें इंद्रावती नदी भी पार करनी पड़ी। 3 अक्टूबर को शुरू हुआ यह ऑपरेशन करीब दो दिनों तक चला। शुक्रवार को सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई और यह नारायणपुर के नेंदूर और थुलथुली गांवों के जंगलों में जाकर खत्म हुई।
सुरक्षा बलों की रणनीति और चुनौती
सुरक्षा बलों को इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौती नक्सलियों की मजबूत सैन्य क्षमता और उनके पास भारी मात्रा में हथियारों का होना था। नक्सलियों की PLGA कंपनी नंबर 6, उनकी बटालियन 1 के बाद सबसे ताकतवर मानी जाती थी। दंतेवाड़ा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आर.के. बर्मन के अनुसार, “हमारी सबसे बड़ी चुनौती थी जवानों को प्रेरित रखना, क्योंकि हमें पता था कि शत्रु शक्तिशाली और संगठित है।”
अमावस्या की रात में ऑपरेशन
सुरक्षा बलों ने अमावस्या की काली रात का फायदा उठाया और नक्सलियों के इलाके में चुपचाप घुसपैठ की। इस दौरान जवानों को बेहद सावधानी बरतनी पड़ी, क्योंकि नक्सलियों द्वारा लगाए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) से बचते हुए उन्हें आगे बढ़ना था।
सुबह से पहले ही सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को घेर लिया और 5-6 किलोमीटर का घेरा तैयार किया। इस मुठभेड़ में सात से आठ घंटे तक गोलीबारी चली, जिसमें 2,000 से अधिक गोलियां चलीं और सैकड़ों ग्रेनेड फेंके गए। ऑपरेशन के दौरान एक जवान मामूली रूप से घायल हुआ, जिसे सुरक्षित निकाल लिया गया।
मुठभेड़ में मारे गए नक्सली
शनिवार तक 15 नक्सलियों की पहचान हो चुकी थी, जिन पर करीब 1.3 करोड़ रुपये का इनाम था। मारे गए नक्सलियों में निती उर्फ उर्मिला भी शामिल थी, जिस पर 25 लाख रुपये का इनाम था। उर्मिला 1998 से नक्सली संगठनों से जुड़ी थी और इस साल दंडकारण्य कमेटी की चौथी बड़ी सदस्य थी, जिसे सुरक्षा बलों ने मार गिराया।
सुरक्षा बलों ने नक्सलियों से भारी मात्रा में हथियार बरामद किए, जिनमें LMG, AK-47, SLR, INSAS राइफलें और ग्रेनेड लॉन्चर शामिल थे।
यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़ के इतिहास का सबसे सफल और बड़ा नक्सल विरोधी अभियान बन गया है, जिसे सुरक्षा बलों की सूझबूझ और सटीक रणनीति के कारण अंजाम दिया गया।