विधानसभा चुनाव: जरांगे फैक्टर से बीजेपी को झटका? 20 अक्टूबर को होगा बड़ा ऐलान
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील ने बीजेपी को इशारा दिया है कि इस बार वे “राजनीतिक एनकाउंटर” करेंगे। लोकसभा चुनावों के दौरान जरांगे फैक्टर के कारण महायुती (बीजेपी और सहयोगी दलों) को बड़ा नुकसान हुआ था। अब विधानसभा में 288 सीटों पर जरांगे फिर से खेल बिगाड़ सकते हैं।
चुनाव लड़ने का फैसला 20 अक्टूबर को
जरांगे पाटील 20 अक्टूबर को फैसला करेंगे कि वे चुनाव लड़ेंगे या नहीं। इससे पहले, अंतरवाली सराटी में जरांगे ने इच्छुक उम्मीदवारों से मुलाकातें शुरू कर दी हैं। इससे पहले भी उन्होंने उम्मीदवारों की इंटरव्यू ली थी और संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार की थी। दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में बीजेपी नेता और मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने रात में करीब 2 बजे जरांगे से मुलाकात की, और इसके बाद शरद पवार की पार्टी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के नेता राजेश टोपे ने भी रात में 3 बजे उनसे मुलाकात की।
विखे पाटील और जरांगे की मुलाकात
सुजय विखे पाटील ने संगमनेर से कांग्रेस के बाला साहेब थोराट के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन बीजेपी ने “एक परिवार, एक टिकट” नीति के कारण उन्हें टिकट देने से इंकार कर दिया। ऐसे में सुजय विखे पाटील निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं, और इसके लिए मराठा समाज का समर्थन पाने की कोशिश में उन्होंने जरांगे से मुलाकात की। विखे पाटील ने इस मुलाकात के बाद बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “अब सरकार ही नहीं रही, चर्चा का कोई फायदा नहीं है” और उन्होंने सीधा फडणवीस पर हमला बोला।
जरांगे फैक्टर का असर
लोकसभा चुनावों में जरांगे पाटील ने उम्मीदवार उतारे थे, जिसके चलते महायुती को भारी नुकसान हुआ था और महाविकास आघाड़ी (एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस) को फायदा हुआ। मराठवाड़ा की 8 लोकसभा सीटों में से 7 पर महाविकास आघाड़ी ने जीत हासिल की, जबकि महायुती को हार का सामना करना पड़ा। अब जरांगे विधानसभा में भी उम्मीदवार उतार सकते हैं, जिससे मतों का विभाजन हो सकता है और बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
मराठवाड़ा में मराठा वोट बैंक और असर
मराठवाड़ा के 8 जिलों में कुल 48 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें मराठा मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2019 के विधानसभा चुनावों में, मराठवाड़ा से बीजेपी के 17 और शिवसेना के 12 विधायक चुने गए थे, जिनमें से 9 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं और 3 उद्धव ठाकरे के साथ। कांग्रेस और एनसीपी के भी यहां मजबूत आधार हैं।
अब सवाल यह है कि जरांगे बीजेपी और महायुती का खेल बिगाड़ेंगे या उम्मीदवार उतारेंगे, और इससे किसे फायदा और किसे नुकसान होगा, इसका फैसला 20 अक्टूबर के बाद साफ हो पाएगा।