सिल्लोड की सियासी जंग: अब्दूल सत्तार की मज़बूत पकड़ के सामने भाजपा-शिवसेना की जोरदार चुनौती
औरंगाबाद : जिले का सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में सबसे चर्चित निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र न केवल ऐतिहासिक अजंता की गुफाओं, मिर्च और मकई के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां का राजनीतिक परिदृश्य भी हमेशा चर्चा का केंद्र रहता है। सिल्लोड में लगातार तीन बार से विधायक और विभिन्न मंत्री पदों पर आसीन अब्दुल सत्तार की मजबूत पकड़ है। हालांकि, इस बार की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प हो सकती है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने उनकी सत्ता को चुनौती देने की तैयारी की है।
अब तक की राजनीति और सत्तार की पकड़
अब्दुल सत्तार, जो मूल रूप से कांग्रेस से थे, 2019 में शिवसेना में शामिल हुए। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में राजस्व मंत्री, कृषि मंत्री और अल्पसंख्यक मंत्री जैसी जिम्मेदारियां निभाई हैं। सत्तार का सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र और यहां की विभिन्न संस्थाओं पर एकछत्र शासन रहा है, जिसमें जिला बैंक, दूध संघ, नगर पालिका और पंचायत समितियां शामिल हैं। सिल्लोड और सोयगांव, जो इस विधानसभा क्षेत्र के दो तालुके हैं, पर उनका वर्चस्व साफ दिखता है।
सत्तार की और भाजपा नेता रावसाहेब दानवे की दोस्ती भी पिछले वर्षों में चर्चा का विषय रही है। जहां दानवे लोकसभा चुनाव में सत्तार की मदद करते थे, वहीं सत्तार विधानसभा चुनाव में दानवे का समर्थन करते थे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में दानवे की हार के बाद दोनों नेताओं के बीच संबंध खराब हो गए। दानवे ने सत्तार पर सिल्लोड को “पाकिस्तान” बनाने का आरोप लगाया, जिसके बाद दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच तीखा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला।
भाजपा और उद्धव ठाकरे की शिवसेना का मुकाबला
हालांकि, पिछले कुछ समय से भाजपा के स्थानीय नेता अब्दुल सत्तार के खिलाफ आंदोलनों और शिकायतों के माध्यम से उन्हें चुनौती दे रहे हैं। भाजपा की ओर से ज्ञानेश्वर मोथे, पूर्व विधायक सांदू पाटिल लोखंडे, और मौजूदा विधायक सुनील मिरकर टिकट के दावेदार हैं। लेकिन अगर तीनों को टिकट नहीं मिलता है, तो बगावत की संभावना भी जताई जा रही है।
शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी सत्तार के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर ली है। पार्टी ने हाल ही में भाजपा छोड़कर उनके साथ शामिल हुए सुरेश बनकर को टिकट देने की संभावना जताई है, जो महाविकास आघाड़ी से चुनाव लड़ेंगे।
चुनावी समीकरण और चुनौतियां
इस बार सिल्लोड विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच होने की संभावना है। मराठा समुदाय, जो इस क्षेत्र में बहुसंख्यक है, चुनावी परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, मुस्लिम, राजपूत, बंजारा और ओबीसी समुदायों के मतदाता भी काफी संख्या में हैं। सिल्लोड में 2024 में मतदाताओं की संख्या 3,55,280 हो गई है, जो पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 15,413 अधिक है।
हालांकि 2024 की लोकसभा चुनाव में सत्तार के गढ़ सिल्लोड-सोयगांव से भाजपा के उम्मीदवार 27,759 वोटों से पीछे रहे थे, लेकिन विधानसभा चुनावों में सत्तार की लोकप्रियता अब भी कायम है। 2019 के विधानसभा चुनाव में अब्दुल सत्तार 24,465 वोटों से जीते थे, जबकि 2014 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार रहते हुए 14,000 वोटों से जीत हासिल की थी।
अब देखना यह है कि क्या अब्दुल सत्तार इस बार भी चौथी बार चुनाव जीतने में सफल होते हैं, या भाजपा और शिवसेना (उद्धव गुट) की चुनौती उनके लिए मुश्किल साबित होगी।