तारीक अनवर की चेतावनी: गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा अराजकता और विदेशी साजिश का हिस्सा
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा बिहार के भागलपुर से शुरू होकर अब अररिया पहुंच गई है। इस यात्रा का उद्देश्य हिंदुओं को एकजुट करना और अपने धर्म की रक्षा के प्रति जागरूक करना है। यात्रा का शुभारंभ शुक्रवार को भागलपुर से हुआ था, और यह कटिहार, पूर्णिया, और अररिया होते हुए 22 अक्टूबर को किशनगंज में समाप्त होगी।
गिरिराज सिंह का बयान
गिरिराज सिंह ने यात्रा के दौरान कटिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “कटिहार को लोग बांग्लादेश बना देना चाहते हैं।” उन्होंने देश में मस्जिदों की संख्या का उल्लेख करते हुए कहा कि जब वे पढ़ते थे, तब देश में मस्जिदों की संख्या केवल तीन हजार थी, लेकिन अब यह संख्या कटिहार में ही तीन हजार के करीब हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब बांग्लादेश में मंदिरों को जलाया जाता है, तो किसी को इसका दुख नहीं होता, जबकि जब ऐसी घटनाएं फिलीस्तीन और लेबनान में होती हैं, तो प्रियंका गांधी जैसे नेता ट्वीट करते हैं।
जदयू और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
गिरिराज सिंह की यात्रा पर पहले जदयू नेता खालिद अनवर ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, “गिरिराज सिंह अपनी यात्राओं से बिहार को नहीं तोड़ सकते। बीजेपी उन्हें जल्द ही पार्टी से अलग कर देगी।” अनवर ने यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस प्रकार की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ है और ऐसी यात्राओं से बिहार का सामाजिक ताना-बाना प्रभावित नहीं होगा।
कांग्रेस नेता तारीक अनवर ने भी इस यात्रा पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “गिरिराज सिंह की यात्रा देश को अराजकता की ओर ले जा रही है। वह देश में सामाजिक सद्भाव को खत्म करने पर तुले हुए हैं। मुझे शक होता है कि गिरिराज को किसी विदेशी ताकत ने सुपारी दी है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है ताकि देश को विश्व गुरु बनने से रोका जा सके।
यात्रा का उद्देश्य और प्रभाव
गिरिराज सिंह की यात्रा का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं को एकजुट करना है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि में विवादों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी यात्रा को लेकर उठ रहे सवाल और आलोचनाएं यह दर्शाती हैं कि बिहार में सांप्रदायिक राजनीति का रंग चढ़ रहा है। गिरिराज की यात्रा पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं यह भी दिखाती हैं कि कैसे विपक्षी दल बीजेपी की रणनीतियों का विरोध कर रहे हैं।
गिरिराज सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान कई सभाएं आयोजित की हैं, जहां वह हिंदू समुदाय से अपने धर्म की रक्षा करने की अपील कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा न केवल राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह उस माहौल का भी प्रतिनिधित्व करती है जिसमें धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दे राजनीति का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
निष्कर्ष
गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा ने बिहार में एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। जबकि बीजेपी का उद्देश्य इस यात्रा के माध्यम से हिंदू मतदाताओं को एकजुट करना है, विपक्षी दल इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। आने वाले दिनों में इस यात्रा का राजनीतिक प्रभाव और सामाजिक प्रतिक्रिया देखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह बिहार की राजनीति में सांप्रदायिक मुद्दों को और अधिक उभार सकता है।