झारखंड चुनाव में AIMIM की एंट्री से ‘इंडिया’ गठबंधन की बढ़ी चिंता, मुस्लिम वोटरों पर नजर
झारखंड विधानसभा चुनाव में इस बार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की एंट्री ने चुनावी समीकरणों को और दिलचस्प बना दिया है। पार्टी ने राज्य की कई सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बनाई है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। एआईएमआईएम ने पाकुड़, राजमहल, गोड्डा, महागामा, सारठ, मधुपुर, रांची, हटिया, लोहरदगा, मांडर और खिजरी जैसी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। पार्टी का मानना है कि इन इलाकों में मुस्लिम वोटर उनकी सफलता की चाबी साबित हो सकते हैं।
‘इंडिया’ गठबंधन को लगेगा झटका
एआईएमआईएम की एंट्री से ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल पार्टियों की चिंता बढ़ गई है। राज्य में कई ऐसे सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता सत्ता के संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं। इन इलाकों में मुस्लिम वोटरों का झुकाव एआईएमआईएम की ओर हो सकता है, जिससे ‘इंडिया’ गठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना है। पार्टी की झारखंड इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद शाकिर ने बताया कि उनकी पार्टी 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है, जिनमें से 11 सीटों पर एआईएमआईएम जरूर चुनाव लड़ेगी।
मुस्लिम वोटरों का निर्णायक रोल
एआईएमआईएम ने जिन 11 सीटों पर फोकस किया है, वहां मुस्लिम वोटर 22% से 38% तक हैं। ये आंकड़े 2011 की जनगणना पर आधारित हैं, जो इन सीटों पर एआईएमआईएम के लिए बड़ा समर्थन साबित हो सकते हैं। मुस्लिम वोटर्स इन सीटों पर किसी भी पार्टी की जीत को प्रभावित कर सकते हैं। यदि एआईएमआईएम इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
पिछले चुनाव में प्रदर्शन रहा फीका
हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम का प्रदर्शन झारखंड में अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। 2019 विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत अधिकतर सीटों पर 2% से 5% के बीच था। कुछ सीटों पर प्रदर्शन बेहतर रहा, जैसे मांडर (10.7%) और डुमरी (12.8%), लेकिन अधिकांश सीटों पर पार्टी को खास सफलता नहीं मिली थी। इसके बावजूद, पार्टी इस बार अपनी संभावनाओं को बेहतर मान रही है और उम्मीद कर रही है कि मुस्लिम मतदाता उन्हें समर्थन देंगे।
चुनावी समीकरणों पर प्रभाव
एआईएमआईएम की इस बार की रणनीति से झारखंड के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। पार्टी की एंट्री से ‘इंडिया’ गठबंधन की कई सीटों पर चुनौती बढ़ सकती है, क्योंकि मुस्लिम वोटरों का बंटवारा होने से गठबंधन के पारंपरिक वोट बैंक में कमी आ सकती है। इससे राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने की संभावना है, और एआईएमआईएम की भूमिका आगामी चुनावों में निर्णायक साबित हो सकती है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री ने राज्य की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। मुस्लिम वोटरों की निर्णायक भूमिका को देखते हुए पार्टी की रणनीति महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। हालांकि, पिछली बार के प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन अगर वे इस बार बेहतर तरीके से अपनी रणनीति को लागू करते हैं, तो झारखंड की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।