मौलाना मदनी: देश की बुनियाद हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की एकता पर, न कि नफरत और विभाजन की राजनीति पर
नई दिल्ली में आयोजित संविधान संरक्षण सम्मेलन में जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने देश में नफरत और विभाजन की राजनीति की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान उसकी विविधता और एकता में है और यही पहचान हमेशा बरकरार रहनी चाहिए। मौलाना मदनी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने और नफरत की राजनीति छोड़ने का आग्रह किया।
मौलाना मदनी ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, और अगर उसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का समर्थन नहीं मिला होता, तो वह सत्ता में नहीं आ पाती।
सम्मेलन में मौलाना ने वक़्फ़ संशोधन विधेयक की भी आलोचना की, इसे वक़्फ़ संपत्तियों पर कब्जा करने की एक सोची-समझी साजिश बताया। उन्होंने समान नागरिक संहिता का भी विरोध किया, यह कहते हुए कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में इसे लागू करना संभव नहीं है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने भी सरकार से पैगंबर मोहम्मद साहब और अन्य धर्मगुरुओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों को रोकने के लिए सख्त कानून लाने की मांग की।
सम्मेलन में वक़्फ़ संशोधन विधेयक, समान नागरिक संहिता, मदरसों के संरक्षण और फिलीस्तीन के मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गए।