चुनावी समीकरण में बड़ा उलटफेर: स्वीकृति शर्मा, गोपाल शेट्टी और मनोज जरांगे पाटिल ने लिया नामांकन वापस
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही नामांकन वापसी की अंतिम तारीख पर राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। चुनावी समीकरण में एक बड़ा उलटफेर तब देखने को मिला जब तीन प्रमुख हस्तियों ने अपने नामांकन वापस लेने का ऐलान किया। इन चेहरों में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की पत्नी स्वीकृति शर्मा, भाजपा के बागी नेता गोपाल शेट्टी, और मराठा आंदोलन के प्रमुख नेता मनोज जरांगे पाटिल शामिल हैं।
स्वीकृति शर्मा का चुनावी मैदान से हटना
स्वीकृति शर्मा, जिन्होंने जुलाई में शिवसेना ज्वाइन की थी, अंधेरी ईस्ट विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी थीं। उनका सामना शिवसेना के उम्मीदवार मुरजी पटेल से होने वाला था। हालांकि, टिकट न मिलने के कारण स्वीकृति ने पार्टी में बगावत कर दी थी। चुनावी समीकरणों के बीच, अंतिम समय में स्वीकृति ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिससे शिवसेना के पक्ष में स्थितियां बेहतर होती दिख रही हैं। सूत्रों के अनुसार, शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत के बाद उन्हें मनाने में सफलता हासिल हुई और उन्होंने मैदान से हटने का फैसला किया।
गोपाल शेट्टी ने भाजपा में लौटाई एकजुटता
भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल शेट्टी, जिन्होंने बोरीवली विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था, पार्टी के कुछ कार्यों से असंतोष के चलते बगावत कर रहे थे। लेकिन, भाजपा नेता विनोद तावड़े के साथ हुई महत्वपूर्ण चर्चा के बाद, शेट्टी ने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया और पार्टी उम्मीदवार को समर्थन देने की बात कही। इस कदम से भाजपा में एकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिला है, जिससे पार्टी को आगामी चुनाव में मजबूती मिल सकती है।
मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल का महत्वपूर्ण फैसला
मराठा समुदाय के आरक्षण आंदोलन के मुखर समर्थक और चर्चित नेता मनोज जरांगे पाटिल ने भी चुनाव से अपना नाम वापस लेने का निर्णय लिया है। पाटिल शुरू में महायुति सरकार के कई विधायकों के खिलाफ प्रचार की योजना बना रहे थे। लेकिन अंतिम समय पर उन्होंने घोषणा की कि वे विधानसभा चुनाव में किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे। उन्होंने अपने समर्थकों से भी आग्रह किया कि वे भी अपने नाम वापस लें और चुनावी राजनीति से दूर रहें।
जरांगे पाटिल ने अपने इस निर्णय के पीछे मराठा समुदाय की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि समुदाय को उनके प्रभाव के बिना ही यह तय करना चाहिए कि किसे अपना नेता चुनना है। उनके इस फैसले से मराठा समुदाय में एक स्वतंत्र विचारधारा को बढ़ावा मिलेगा और चुनावी समीकरणों पर गहरा असर पड़ेगा।
राजनीतिक दलों की रणनीति
नामांकन वापसी के इस दौर में, महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों प्रमुख गठबंधन दलों ने अपने बागी नेताओं को मनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। स्वीकृति शर्मा और गोपाल शेट्टी को मनाने में सफलता ने जहां शिवसेना और भाजपा की स्थिति मजबूत की, वहीं मनोज जरांगे पाटिल के फैसले से मराठा आंदोलन की तात्कालिकता और चुनावी स्थिति पर सवाल खड़े हुए हैं।
इन प्रमुख नामों के पीछे हटने से महाराष्ट्र चुनाव के समीकरणों में बड़े बदलाव आए हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह निर्णय कितनी हद तक पार्टियों के पक्ष में जाता है और चुनावी नतीजों पर इसका क्या असर पड़ता है।