बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, करने होंगे ये 6 काम; वरना होगी सख्त कार्रवाई
यूपी सरकार द्वारा अपनाए गए बुलडोजर एक्शन की नीति, जिसे कई राज्यों की सरकारों ने फॉलो किया, अब सुप्रीम कोर्ट के रडार पर है। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है और कहा कि कानून के शासन में इस तरह का “बुलडोजर न्याय” अस्वीकार्य है।
संपत्ति नष्ट कर नागरिकों की आवाज नहीं दबाई जा सकती – सुप्रीम कोर्ट
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले में कहा कि नागरिकों की संपत्तियों को नष्ट कर उनकी आवाज को दबाना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कानून का शासन किसी भी प्रकार की मनमानी या प्रतिशोध की कार्रवाई की इजाजत नहीं देता।
विध्वंस से पहले राज्य सरकारों को करना होंगे 6 जरूरी कदम
सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकार के विध्वंसों के खिलाफ सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सुरक्षा उपाय निर्धारित किए हैं, ताकि नागरिकों के संपत्ति के अधिकार की रक्षा की जा सके। कोर्ट ने बताया कि किसी भी प्रकार के विध्वंस से पहले कानून की प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। इस प्रक्रिया के तहत 6 महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे:
- मौजूदा भूमि रिकॉर्ड और मानचित्रों का सत्यापन: विध्वंस की कार्रवाई से पहले संबंधित भूमि के रिकॉर्ड की पुष्टि करना आवश्यक है।
- उचित सर्वेक्षण: अतिक्रमण की सटीक पहचान के लिए विध्वंस से पहले एक उचित सर्वेक्षण किया जाना चाहिए।
- तीन लिखित नोटिस: कथित अतिक्रमणकारियों को तीन लिखित नोटिस भेजे जाने चाहिए, जिससे उन्हें अपनी बात रखने का मौका मिल सके।
- आपत्तियों पर विचार: कथित अतिक्रमणकारियों द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर उचित विचार करना होगा और उसके बाद ही एक्शन का आदेश पारित किया जा सकता है।
- स्वैच्छिक अतिक्रमण हटाने का समय: अतिक्रमणकारियों को स्वैच्छिक रूप से अपना अतिक्रमण हटाने का पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
- अतिरिक्त भूमि का कानूनी अधिग्रहण: यदि आवश्यक हो, तो अतिरिक्त भूमि को कानूनी रूप से अधिग्रहित करना चाहिए और उसके बाद ही कोई अन्य कार्रवाई की जा सकती है।
अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति अधिकार की रक्षा
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस तरह की मनमानी और एकतरफा कार्रवाई की इजाजत दी गई तो अनुच्छेद 300A के तहत नागरिकों के संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता खत्म हो जाएगी। संविधान के अनुच्छेद 300A में प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को बिना कानूनी प्राधिकार के उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।
यूपी सरकार को मुआवजा देने का आदेश
इस मामले में शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक याचिकाकर्ता को मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये देने का भी निर्देश दिया। यह फैसला उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में 2019 में एक मकान के विध्वंस से संबंधित मामले में सुनाया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से अंतरिम मुआवजे की मांग की, क्योंकि याचिकाकर्ता का मकान एक सड़क परियोजना के लिए गिरा दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने स्पष्ट संदेश दिया है कि “बुलडोजर न्याय” का तरीका अस्वीकार्य है और नागरिकों के संपत्ति के अधिकार को बिना उचित प्रक्रिया के नष्ट नहीं किया जा सकता। राज्य सरकारों को भविष्य में इस प्रकार की कार्रवाई से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा, ताकि नागरिकों के अधिकारों का हनन न हो।