जरांगे पाटिल का भाजपा पर हमला, कहा – “हिंदू एकता की बात करने वाले मराठाओं की मांगों को अनदेखा कर रहे हैं”
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले मराठा आरक्षण की मांग ने सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने एक इंटरव्यू में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति सरकार पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि वे मराठा समुदाय का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक लाभ के लिए करते हैं, लेकिन उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं। पाटिल ने कहा कि मराठा समुदाय इस चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन को करारी शिकस्त देने के लिए तैयार है।
हिंदू एकता पर सवाल, मराठाओं की अनदेखी का आरोप
मनोज जरांगे ने भाजपा के “हिंदू खतरे में है” नारे पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर हिंदू समाज के संकट में होने की बात की जाती है, तो मराठा समुदाय की मांगों को क्यों अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “जो लोग हिंदू एकता की बात करते हैं, वे मराठाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर रहे हैं। क्या उन्हें मराठाओं की परेशानियां नहीं दिखाई देतीं? हिंदू एकता के नाम पर मराठाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन जब उनकी जरूरतों की बात आती है, तो वे खामोश हो जाते हैं।”
जरांगे ने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने मराठा समुदाय को मुस्लिमों का विरोध करने के लिए प्रेरित किया, वे ही अब मराठाओं की आरक्षण की मांगों को अनदेखा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के “बंटेंगे तो कटेंगे” और “एक हैं तो सेफ हैं” जैसे नारों का मकसद सिर्फ हिंदू समाज को एकजुट करने का दिखावा करना है, जबकि उनकी वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता।
मराठा समुदाय का समर्थन और जागरूकता
मनोज जरांगे ने मराठा समुदाय के समर्थन में बड़े स्तर पर अभियान चलाया है, जिससे उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे को प्रमुख रूप से उठाया है। उन्होंने कहा कि इस बार मराठा समाज पूरी तरह जागरूक है और उन्हें अच्छी तरह समझ आ चुका है कि इस चुनाव में किसे हराना है। जरांगे ने दावा किया कि मराठा समुदाय के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और छोटे समुदायों का भी समर्थन इस आंदोलन को मिल रहा है, जो उनके बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “चाहे वह मराठा समुदाय हो, धनगर समुदाय हो या छोटे ओबीसी समूह हों, सभी आरक्षण की मांग कर रहे हैं और अपनी समस्याओं से जूझ रहे हैं। सभी वर्गों में आक्रोश है और चुनाव के दौरान यह सरकार को स्पष्ट रूप से दिखाया जाएगा।”
सरकार के विकास के दावों पर व्यंग्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन को “डबल-इंजन सरकार” बताने पर तंज कसते हुए मनोज जरांगे ने कहा कि इस सरकार को वास्तव में “ट्रिपल-इंजन सरकार” कहना चाहिए, क्योंकि उन्होंने हर वर्ग को खुश कर दिया है (व्यंग्यात्मक)। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नीतियां इतनी प्रभावी होतीं, तो हर खेत सिंचित होता, हर किसान कर्ज से मुक्त होता और किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल पाता। लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहा है और वे कर्ज में डूबे हुए हैं।
“मराठा समुदाय को हरा देंगे आरक्षण विरोधी”
मनोज जरांगे ने स्पष्ट रूप से कहा कि मराठा समुदाय उन लोगों को हराने के लिए पूरी तरह तैयार है जिन्होंने उनके आरक्षण के खिलाफ काम किया है। उन्होंने सत्तारूढ़ सरकार पर मराठा समुदाय की मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया और कहा कि आरक्षण विरोधियों को इस बार करारा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मराठा समाज चुनाव में अपनी ताकत दिखाएगा और उन नेताओं को हरा देगा जिन्होंने उनके आरक्षण का विरोध किया।
देवेंद्र फडणवीस पर भी आरोप
मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे मराठा समुदाय के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि फडणवीस ही असल में राज्य सरकार को चला रहे हैं, न कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे। जरांगे का मानना है कि सरकार की नीतियों ने समाज के हर वर्ग को निराश किया है, और अब राज्य के मतदाता इसका जवाब देंगे।
मराठा और ओबीसी के बीच कोई विभाजन नहीं
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके आंदोलन से मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच कोई विभाजन हो सकता है, जरांगे ने इस विचार को खारिज करते हुए कहा कि मराठा और ओबीसी गांवों में एक साथ रहते हैं और दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है। उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ सरकार इस तरह के मुद्दों पर राजनीति कर रही है और समुदायों को बांटने का प्रयास कर रही है, लेकिन समाज में ऐसी कोई विभाजन की स्थिति नहीं है।
आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष का समर्थन
जरांगे ने यह भी स्पष्ट किया कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कोई भी राजनीतिक पार्टी पूरी तरह मराठा समुदाय की मदद के लिए आगे नहीं आई है। उन्होंने शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अजित पवार और एकनाथ शिंदे का जिक्र करते हुए कहा कि इन नेताओं ने भी आरक्षण के मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। उनका कहना है कि मराठा समुदाय को अब अपने हितों के लिए खुद लड़ना होगा, और इस चुनाव में वे अपनी ताकत दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
आगामी चुनावों में बड़ा प्रभाव
जरांगे का यह बयान महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में मराठा समुदाय के मतदान व्यवहार पर गहरा असर डाल सकता है। महाराष्ट्र के मराठा समुदाय का राज्य की राजनीति में बड़ा प्रभाव है, और जरांगे का यह विरोध भाजपा गठबंधन के लिए एक चुनौती बन सकता है।