औरंगाबाद की दो सीटों पर जीत के दावे के पीछे असदुद्दीन ओवैसी का आत्मविश्वास, 5 महीने पहले मिले थे संकेत
महाराष्ट्र की राजनीति में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने इस बार 17 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, जिनमें 13 मुस्लिम और 4 दलित उम्मीदवार शामिल हैं। पार्टी का मुख्य ध्यान औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) की दो विधानसभा सीटों – औरंगाबाद सेंट्रल और औरंगाबाद ईस्ट पर है। ओवैसी ने आत्मविश्वास के साथ दोनों सीटों पर जीत का दावा किया है।
औरंगाबाद: AIMIM की मजबूत पकड़
पिछले लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट से AIMIM के इम्तियाज जलील को 3.41 लाख वोट मिले थे, जो महा विकास अघाड़ी के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे से अधिक थे। हालांकि, बीजेपी-शिंदे की शिवसेना गठबंधन के उम्मीदवार संदीप भुमरे ने यह सीट 1.34 लाख वोटों के अंतर से जीती थी। इसके बावजूद, विधानसभा क्षेत्रों में AIMIM को औरंगाबाद सेंट्रल और औरंगाबाद ईस्ट में बढ़त मिली थी। यही कारण है कि ओवैसी को इस बार दोनों सीटें जीतने का भरोसा है।
प्रत्याशी और मुकाबला
- औरंगाबाद सेंट्रल:
AIMIM ने नासिर सिद्दीकी को उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला शिवसेना (यूबीटी) के बालासाहेब थोराट, शिंदे गुट के प्रदीप जयसवाल और वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) के जावेद कुरैशी से है। - औरंगाबाद ईस्ट:
इम्तियाज जलील ने इस सीट से AIMIM का नेतृत्व किया है। उनके सामने सपा के अब्दुल गफ्फार कादरी, बीजेपी के मोरेश्वर सावे, और कांग्रेस के लाहू हनमनत्रो चुनावी मैदान में हैं।
मुद्दे और ओवैसी की रणनीति
औरंगाबाद में मुख्य समस्याओं में पेयजल संकट, खराब सड़कें, और बेरोजगारी शामिल हैं। ओवैसी का दावा है कि उनके उम्मीदवार क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। AIMIM ने मुस्लिम और दलित वोटरों को साथ लाने के लिए गहन रणनीति बनाई है।
चुनौतियां: SP और VBA की ताकत
हालांकि, AIMIM के लिए राह इतनी आसान नहीं है। समाजवादी पार्टी (SP) और वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) ने भी मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं, जिससे मुस्लिम वोटों में बंटवारे की संभावना बढ़ गई है। सपा ने अब्दुल गफ्फार कादरी को पूर्वी सीट से मैदान में उतारकर इम्तियाज जलील की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
ओवैसी की भविष्यवाणी
ओवैसी का कहना है कि उनकी पार्टी को क्षेत्रीय जनता पर भरोसा है। उनका मानना है कि AIMIM के विधायक विधानसभा में पहुंचने के बाद क्षेत्रीय विकास और लोगों की समस्याओं को हल करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
क्या AIMIM बदल पाएगी महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर?
AIMIM की रणनीति, लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन, और मुस्लिम वोटरों की निर्णायक भूमिका को देखते हुए औरंगाबाद सेंट्रल और ईस्ट सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ओवैसी का आत्मविश्वास विधानसभा चुनावों में जमीन पर कितना असर दिखा पाता है।