छगन भुजबळ के गढ़ में मनोज जरांगे की चुनौती पर ओबीसी नेता ने किया पलटवार
बीड: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटील ने छगन भुजबळ के गढ़ में जाकर “पाडापाडी” (हराने) की बात कही, जिससे सियासी तापमान बढ़ गया है। इस बयान पर ओबीसी नेता लक्ष्मण हाके ने तीखा पलटवार करते हुए जरांगे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
ओबीसी नेता का पलटवार
बीड के गेवराई में वंचित बहुजन आघाड़ी की उम्मीदवार प्रियंका खेडकर के प्रचार के बाद मीडिया से बात करते हुए लक्ष्मण हाके ने कहा, “मनोज जरांगे को छगन भुजबळ नाम की ‘कावीळ’ हो गई है। शरद पवार के कहने पर ही वे येवला गए थे। जरांगे को सिर्फ एक ही विधानसभा सीट दिखती है, बाकी 287 सीटें नहीं।”
उन्होंने आगे कहा, “राज्य में ओबीसी का समर्थन इस बार निर्णायक होगा। 23 तारीख को क्रांतिकारी परिणाम आएंगे। 25 से ज्यादा ओबीसी विधायक जीतेंगे, और बड़े-बड़े नेता घर बैठे नजर आएंगे।”
जरांगे का बयान
नाशिक के येवला में एक सभा के दौरान मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण को लेकर अपने अभियान को तेज करते हुए कहा, “राजनीति से ज्यादा आरक्षण महत्वपूर्ण है। जिन्हें हराना है, उन्हें हराओ। जो पैसे दे, उन्हें मतदाता ले सकते हैं, लेकिन वोट नहीं देना चाहिए।”
जरांगे ने कहा कि मराठा किसानों की आत्महत्याएं रोकने के लिए कृषि उत्पादों को उचित दाम मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा, “अब राज्य में कहीं उपवास नहीं करेंगे, केवल अंतरवली सराटी में तय तारीख पर आंदोलन होगा। सरकार चाहे किसी की भी बने, मराठा समाज उसे गिराने की ताकत रखता है।”
सियासी घमासान
इस घटना ने मराठा और ओबीसी समाज के बीच बढ़ती खाई को उजागर कर दिया है। जरांगे का “पाडापाडी” का बयान और हाके का पलटवार राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनाने के संकेत दे रहे हैं।
23 नवंबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि ओबीसी और मराठा समाज के बीच के इन विवादों का चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है।