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मणिपुर की राजनीति में उथल-पुथल: एनपीपी ने की एनडीए सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा

मणिपुर की राजनीति में बड़ा मोड़ तब आया जब राष्ट्रीय पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की। एनपीपी के अध्यक्ष ने बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर इस फैसले की जानकारी दी।


मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह पर गंभीर आरोप

एनपीपी ने इस कदम के पीछे राज्य में चल रही हिंसा और मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की भूमिका को मुख्य कारण बताया है।

  • एनपीपी का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने जातीय हिंसा को नियंत्रित करने के बजाय उसे और भड़काने का काम किया।
  • 3 मई, 2023 से राज्य में जारी हिंसा के कारण अब तक 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि सैकड़ों घर तबाह हो चुके हैं।
  • एनपीपी का कहना है कि ऐसे हालात में उनके लिए सरकार का हिस्सा बने रहना असंभव हो गया है।

बीजेपी सरकार पर संकट के बादल?

एनपीपी के समर्थन वापसी के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह की सरकार खतरे में है।

  • मणिपुर विधानसभा में एनपीपी के सात विधायक हैं, लेकिन उनके बिना भी बीजेपी सरकार बहुमत में बनी हुई है।
  • 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के पास 32 विधायक हैं, जो बहुमत के लिए पर्याप्त हैं।
  • हालांकि, एनपीपी का समर्थन वापस लेना बीजेपी के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा कर सकता है और सरकार पर दबाव बढ़ा सकता है।

विपक्ष और जनता का आक्रोश

एनपीपी के इस फैसले से विपक्ष को आलोचना का एक नया अवसर मिला है।

  • राज्य में लगातार हिंसा और अस्थिरता के लिए विपक्ष ने बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
  • रविवार को बराक नदी से दो शव बरामद होने के बाद जनता का आक्रोश और भड़क गया।
  • गुस्साई भीड़ ने एक बीजेपी नेता के घर पर हमला किया, जबकि शनिवार को मुख्यमंत्री और नौ अन्य विधायकों के घरों को भी निशाना बनाया गया।

राजनीतिक प्रभाव

एनपीपी के समर्थन वापसी के राजनीतिक निहितार्थ दूरगामी हो सकते हैं।

  1. बीजेपी के लिए चुनौती:
  • एनपीपी का यह कदम बीजेपी के प्रति अन्य सहयोगी दलों के भरोसे को कमजोर कर सकता है।
  • इससे मणिपुर में बीजेपी नेतृत्व की स्थिरता पर सवाल उठेंगे।
  1. एनपीपी का राजनीतिक संदेश:
  • एनपीपी ने राज्य के हिंसाग्रस्त हालात को उजागर करके अपने सामाजिक और राजनीतिक दायित्व को रेखांकित किया है।
  • यह कदम एनपीपी को राज्य में विपक्ष के रूप में स्थापित कर सकता है।
  1. राजनीतिक समीकरणों पर असर:
  • एनपीपी के इस निर्णय से मणिपुर में जातीय संघर्ष और राजनीतिक विभाजन और गहरा सकता है।

निष्कर्ष

मणिपुर में एनपीपी के समर्थन वापसी ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।

  • हालांकि, बीजेपी सरकार फिलहाल बहुमत में है, लेकिन इस घटना से उसकी स्थिति कमजोर हो सकती है।
  • जातीय हिंसा और अस्थिरता के चलते राज्य के हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
  • मणिपुर की जनता को स्थिरता और शांति की आवश्यकता है, जो वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम से दूर होती नजर आ रही है।

खासदार टाइम्स

खासदार टाईम्स {निडर, निष्पक्ष, प्रखर समाचार, खासदार की तलवार, अन्याय पे प्रहार!} हिंदी/मराठी न्यूज पेपर, डिजिटल न्यूज पोर्टल/चैनल) RNI No. MAHBIL/2011/37356 संपादक - खान एजाज़ अहमद, कार्यकारी संपादक – सय्यद फेरोज़ आशिक

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