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अपने ही घर में हार गए नेतन्याहू, युद्ध छोड़ भाग रहे सैनिक, मजबूरी में दूसरे देशों से मांगी मदद

गाजा में हमास और लेबनान में हिज़बुल्लाह के खिलाफ चल रहे युद्ध में इजरायली सेना को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सामने आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, युद्ध के कारण सैनिकों की संख्या में भारी कमी हो गई है और कई सैनिक युद्ध लड़ने से इनकार कर रहे हैं। इसके अलावा, सेना में भर्ती के प्रति युवाओं की उदासीनता ने इजरायल की सुरक्षा रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

युद्ध की स्थिति और नुकसान

7 अक्टूबर 2023 को हमास और हिज़बुल्लाह के संयुक्त हमले के बाद इजरायल ने गाजा और लेबनान में व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया था। लेकिन, लगभग एक साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद, इजरायल हमास को निर्णायक रूप से हराने में नाकाम रहा है।

  • सैनिकों की मौत और घायल: अब तक युद्ध में 783 इजरायली सैनिक मारे गए हैं और 12,000 से अधिक घायल हो चुके हैं। इनमें से कई गंभीर रूप से घायल हैं और कुछ आजीवन अपंग हो चुके हैं।
  • मनोबल का गिरना: अरब मीडिया के अनुसार, कई सैनिक युद्ध के मैदान से भाग रहे हैं और रिजर्व फोर्स ने भी युद्ध में शामिल होने से मना कर दिया है।

सैनिकों की कमी और भर्ती रणनीति

इजरायल को इस समय 10,000 सैनिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने नई योजनाएं बनाई हैं:

  1. विदेशी सैनिकों की भर्ती: इजरायली सेना ने विदेशी लड़ाकों को भर्ती करने के लिए नागरिकता और अन्य प्रोत्साहन देने की पेशकश की है।
  2. भाड़े के लड़ाकों की भर्ती: सेना ने उन शरणार्थियों और विदेशियों को भर्ती करने की योजना बनाई है, जिन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
  3. प्रलोभन: सेना में शामिल होने वाले शरणार्थियों और विदेशी लड़ाकों को इजरायली नागरिकता और अन्य आर्थिक लाभ दिए जा रहे हैं।

युवाओं की उदासीनता और नेतन्याहू की आलोचना

इजरायल के युवाओं में सेना में भर्ती होने की अनिच्छा और सेना में मनोबल की कमी ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की युद्ध नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • नेतन्याहू की आलोचना: वैश्विक मीडिया और विश्लेषकों का कहना है कि नेतन्याहू की रणनीति विफल हो रही है। कई अखबारों में यह हेडलाइन बनी है कि “इजरायली सेना थक चुकी है और कमजोर हो गई है।”
  • युद्ध की लंबाई: गाजा पर भारी बमबारी के बावजूद हमास का पूरी तरह से खात्मा न होना और हिज़बुल्लाह के लगातार हमले, इजरायल की रणनीति पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इजरायल जल्द ही सैनिकों की कमी और युद्ध नीति में सुधार नहीं करता है, तो यह युद्ध उसके लिए और भी बड़ी समस्या बन सकता है। सेना में मनोबल बढ़ाने और नई रणनीतियों को लागू करने की आवश्यकता है, ताकि देश की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।

इस स्थिति ने इजरायली सरकार को न केवल घरेलू मोर्चे पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि नेतन्याहू सरकार इन चुनौतियों का कैसे समाधान करती है।

खासदार टाइम्स

खासदार टाईम्स {निडर, निष्पक्ष, प्रखर समाचार, खासदार की तलवार, अन्याय पे प्रहार!} हिंदी/मराठी न्यूज पेपर, डिजिटल न्यूज पोर्टल/चैनल) RNI No. MAHBIL/2011/37356 संपादक - खान एजाज़ अहमद, कार्यकारी संपादक – सय्यद फेरोज़ आशिक

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