औरंगाबाद: अंबादास दानवे का बड़ा दावा, “नकदी देकर मतदाता पहचान पत्र ले रही शिवसेना और बीजेपी”
महाराष्ट्र में आगामी विधान परिषद चुनाव से पहले औरंगाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने प्रेस कांफ्रेंस कर सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना पर गरीब मतदाताओं को नकदी देकर उनके मतदाता पहचान पत्र लेने और उंगलियों पर स्याही लगाने का गंभीर आरोप लगाया है।
1,000-2,000 रुपये देकर मतदाता पहचान पत्र लेने का आरोप
अंबादास दानवे ने दावा किया कि शिवसेना और बीजेपी कार्यकर्ता गरीब लोगों को 1,000-2,000 रुपये देकर उनके मतदाता पहचान पत्र ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं के बारे में शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं ने पुलिस को सूचित किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
उन्होंने आरोप लगाया,
“पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार की मदद कर रही है और निष्पक्षता से कार्य नहीं कर रही है।”
औरंगाबाद पश्चिम सीट पर तीखा मुकाबला
इस विवाद के केंद्र में औरंगाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र है, जहां शिवसेना के उम्मीदवार संजय शिरसाट का मुकाबला शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार राजू शिंदे से है। यह सीट बुधवार को होने वाले चुनाव में बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
पुलिस ने की दो गिरफ्तारियां
हालांकि, पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए सोमवार रात को दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार, इन व्यक्तियों ने एक मतदाता को 1,000 रुपये देकर उसके मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड ले लिए।
पुलिस ने दावा किया है कि मामले की जांच जारी है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह कार्रवाई महज दिखावा है और सत्तारूढ़ दल के पक्ष में काम हो रहा है।
निर्वाचन आयोग पर भी सवाल
दानवे ने यह भी आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग शिकायतों पर उचित समय नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा,
“मैंने चुनाव आयोग से इस मामले में शिकायत की थी, लेकिन मुझे जवाब दाखिल करने के लिए केवल 30 मिनट का समय दिया गया। यह सत्तारूढ़ दलों के प्रति चुनाव आयोग की पक्षपाती मानसिकता को दर्शाता है।”
चुनाव में बढ़ा तनाव
यह विवाद चुनाव के पहले सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच तनाव को और बढ़ा रहा है। शिवसेना (यूबीटी) ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला करार दिया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
इस मामले ने बीजेपी, शिवसेना और शिवसेना (यूबीटी) के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को बढ़ावा दिया है। शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव में धांधली की आशंका जताई है, जबकि सत्तारूढ़ दलों ने विपक्ष के आरोपों को आधारहीन बताया है।
निष्पक्ष चुनाव की चुनौती
इस घटना ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि निर्वाचन आयोग और पुलिस इस विवाद को किस तरह से संभालते हैं और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करते हैं।