महाराष्ट्र में मतदान के बीच सुशील शिंदे का बड़ा दांव, शिवसेना (यूबीटी) के खिलाफ निर्दलीय को दिया समर्थन
महाराष्ट्र के सोलापुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमर रजनीकांत पाटिल के खिलाफ बड़ा दांव खेलते हुए निर्दलीय धर्मराज कराडी का समर्थन करने की घोषणा कर दी है। उनकी इस घोषणा ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन में दरार के संकेत दे दिए हैं और सियासी हलकों में इसकी व्यापक चर्चा हो रही है।
सुशील शिंदे का बयान
बेटी परिणीति शिंदे के साथ मतदान करने के बाद सुशील शिंदे ने मीडिया से कहा,
“यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। शिवसेना (यूबीटी) ने इसे अपनी जिद के चलते ले लिया। हम यहां से पूर्व विधायक दिलीप माने को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाना चाह रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें सिंबल नहीं दिया। इसलिए हमने निर्दलीय धर्मराज कराडी को समर्थन देने का फैसला किया है। कराडी ही बीजेपी के सुभाष देशमुख को हरा सकते हैं, और उनका राजनीतिक भविष्य उज्ज्वल है।”
राउत की आशंका हुई सच
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने मतदान से पहले ही कहा था कि कुछ सीटों पर कांग्रेस के नेता सांगली मॉडल लागू कर सकते हैं। राउत का इशारा इस बात की तरफ था कि सांगली लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन देकर शिवसेना (यूबीटी) को नुकसान पहुंचाया था। हालांकि कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्निथल्ला ने इस आशंका को खारिज करते हुए कहा था कि गठबंधन धर्म का पालन किया जाएगा और कोई भी इसे तोड़ने की कोशिश करेगा तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।
सोलापुर दक्षिण सीट का समीकरण
सोलापुर दक्षिण सीट दलित बहुल क्षेत्र है, जहां मुसलमानों की आबादी भी करीब 15% है। यह सीट कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती थी। लेकिन 2014 और 2019 में बीजेपी के सुभाष देशमुख ने यहां से जीत दर्ज की। इस बार शिवसेना (यूबीटी) के अमर पाटिल को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन कांग्रेस के नेता इस निर्णय से नाखुश थे।
महाविकास अघाड़ी में दरार?
सुशील शिंदे का निर्दलीय को समर्थन देना गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े करता है। महाविकास अघाड़ी के लिए यह एक गंभीर झटका हो सकता है, क्योंकि कांग्रेस के बड़े नेता के इस कदम से शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार की स्थिति कमजोर हो गई है।
बीजेपी के लिए बढ़त का मौका
शिंदे के इस कदम से बीजेपी के उम्मीदवार सुभाष देशमुख को सीधा फायदा होने की संभावना है। शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के वोट बंटने से बीजेपी की राह आसान हो सकती है।
आगे की सियासी हलचल पर नजर
सुशील शिंदे के इस निर्णय के बाद अब यह देखना होगा कि कांग्रेस नेतृत्व इस पर क्या कदम उठाता है। क्या पार्टी शिंदे के खिलाफ कार्रवाई करेगी, या इसे एक व्यक्तिगत निर्णय मानकर दरकिनार करेगी? महाविकास अघाड़ी में इस घटनाक्रम के बाद तल्खी बढ़ने के आसार हैं।
चुनाव परिणाम तय करेगा कि शिंदे का दांव कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के लिए कितना महंगा साबित होता है।