महाराष्ट्र में MVA की हार का राज्यसभा पर असर: शरद पवार, प्रियंका और राउत की वापसी पर संकट
महाराष्ट्र की राजनीति में महायुति (भाजपा, शिंदे गुट और अजीत पवार गुट का गठबंधन) ने हालिया विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर समीकरण बदल दिए हैं। महायुति को 49.6% वोट शेयर और 235 विधायकों का समर्थन मिला, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी (MVA) को मात्र 35.3% वोट शेयर और 50 विधायकों तक सीमित रहना पड़ा।
राज्यसभा की सीटों पर नई चुनौती
राज्यसभा की 19 सीटों में से अगले चुनाव में समीकरण महायुति के पक्ष में झुके हुए नजर आते हैं। चुनाव आयोग के फॉर्मूले के अनुसार, राज्यसभा सांसद बनने के लिए एक उम्मीदवार को 15 विधायकों का समर्थन चाहिए।
- महायुति के पास: 235 विधायकों के विशाल समर्थन के चलते बीजेपी और सहयोगी दलों की सीटें बढ़ने की संभावना है।
- MVA के पास: केवल 50 विधायकों के समर्थन के साथ विपक्ष को कठिन संघर्ष करना होगा।
MVA के सामने मुश्किलें
MVA के लिए प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-यूबीटी) और संजय राउत को राज्यसभा में दोबारा भेजना चुनौती बन गया है। इसके लिए कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), और समाजवादी पार्टी का समर्थन जरूरी है।
- शिवसेना (यूबीटी): अपने नेताओं को बचाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ तालमेल की कोशिश करेगी।
- कांग्रेस और एनसीपी (शरद गुट): सीमित विधायकों के समर्थन के कारण अपनी सीटें बचाने के लिए संघर्ष करेंगी।
बीजेपी का बढ़ता दबदबा
बीजेपी की राज्यसभा में पहले से ही 112 सीटें हैं। महाराष्ट्र की जीत के बाद यह संख्या और बढ़ेगी, जिससे संसद में भाजपा का वर्चस्व मजबूत होगा। इससे विपक्ष के लिए नीतिगत लड़ाई और कठिन हो जाएगी।
राजनीतिक दिग्गजों पर असर
- शरद पवार: पहले ही अंतिम कार्यकाल की घोषणा कर चुके हैं, लेकिन उनके गुट की स्थिति कमजोर होती दिख रही है।
- प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत: इनकी वापसी पर अनिश्चितता बरकरार है।
- कांग्रेस और एनसीपी (शरद गुट): अपने हिस्से की सीटें बचाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
महायुति की जीत ने विधानसभा से लेकर राज्यसभा तक राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। एमवीए को न केवल अपनी राजनीतिक जमीन बचाने बल्कि विपक्षी एकता बनाए रखने के लिए बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वहीं, महायुति की बढ़ी ताकत से भाजपा का दबदबा और मजबूत होगा।