सुप्रीम कोर्ट ने EVM के खिलाफ याचिका खारिज की, बैलट पेपर से चुनाव की मांग को ठुकराया
नई दिल्ली: देश में चुनाव प्रक्रिया को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. केए पॉल ने दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से तीखे सवाल पूछे। जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, “आपको यह याचिका दायर करने का विचार कैसे आया?” जवाब में डॉ. पॉल ने दावा किया कि एलन मस्क ने भी ईवीएम पर सवाल उठाए हैं और उनकी विश्वसनीयता पर चर्चा की है।
एलन मस्क का बयान विवाद में
डॉ. पॉल ने अपने तर्क में एलन मस्क का हवाला दिया। हालांकि, अदालत ने उनकी दलील को ठुकरा दिया और कहा कि दो दिन पहले ही एलन मस्क ने भारतीय चुनाव प्रक्रिया की तारीफ की थी। मस्क ने कहा था कि भारत में एक ही दिन में 64 करोड़ वोटों की गिनती हो गई, जबकि अमेरिका में कई राज्यों में अब भी काउंटिंग जारी है।
राजनीतिक दलों ने भी उठाए सवाल
पिछले कुछ वर्षों में कई विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल उठा चुके हैं। हरियाणा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने ईवीएम की चार्जिंग को लेकर सवाल किया था। हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका में दिए गए तर्क कमजोर हैं और देश की चुनाव प्रक्रिया पर संदेह करना बिना ठोस सबूत के सही नहीं है।
क्या है भविष्य?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ईवीएम पर विवाद थमने की संभावना है। चुनाव आयोग ने बार-बार दावा किया है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित और विश्वसनीय हैं। अदालत का यह फैसला भी इस दावे को मजबूती देता है। अब देखना होगा कि विपक्षी दल और याचिकाकर्ता इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।