“हार छुपाने के लिए दूसरों को दोष देना नाकाबिलियत का परिचायक”: खान एजाज़ अहमद
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद कई पराजित उम्मीदवारों द्वारा विरोधियों पर लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, खान एजाज़ अहमद ने तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हारने वाले उम्मीदवारों को अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए और इसे आत्ममंथन का अवसर समझना चाहिए, बजाय इसके कि वे अपनी असफलता के लिए विरोधियों को दोष दें।
“हार तुम्हारी कमजोरी थी, दूसरों को दोष देकर छुपा नहीं सकते”
खान एजाज़ अहमद ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “तुम्हारी हार यह दिखाती है कि तुम्हारे अंदर जितने की काबिलियत नहीं थी। जनता का फैसला तुम्हारे खिलाफ गया है, इसका मतलब है कि जनता ने तुम्हें नकार दिया है।” उन्होंने कहा कि हारने वाले उम्मीदवार अपने विरोधियों को “कौम का दलाल” या “पैसे देकर खड़ा किया गया” जैसे आरोप लगाकर अपनी असफलता छुपाने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनके भीतर की हताशा और कमजोरी को दर्शाता है।
“जनता ही अंतिम निर्णय करती है”
खान एजाज़ अहमद ने कहा कि लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वोपरि है। चुनाव में हार-जीत जनता की पसंद पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा, “कौन कितने पानी में है, यह वक्त और जनता का कौल ही बता देता है। संविधान ने हर किसी को चुनाव लड़ने का अधिकार दिया है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि कोई उम्मीदवार हार गया है, तो यह उसकी नाकामी को दर्शाता है। इसे स्वीकार कर आगे बढ़ने की जरूरत है, न कि दूसरों पर दोषारोपण कर अपनी कमज़ोरी छुपाने की।
“जली कहीं और, निकाल कहीं और रहे हो”
खान एजाज़ अहमद ने कहा कि पराजित उम्मीदवार अपने भीतर की नाराजगी और हताशा को विरोधियों पर निकाल रहे हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “तुम्हारा रोष बता रहा है कि जली कहीं और है और निकाल कहीं और रहे हो।”
“पराजित उम्मीदवारों को लोकतांत्रिक मूल्यों को समझना चाहिए”
उन्होंने पराजित नेताओं को सलाह दी कि हार-जीत लोकतंत्र का हिस्सा है। लोकतंत्र का असली अर्थ यह है कि हारने वाले भी विजेता का साथ दें और देशहित में काम करें। “जो जीतता है, उसे पराजित उम्मीदवारों को साथ लेकर काम करना चाहिए।”
“एक निर्वाचन क्षेत्र में अधिक उम्मीदवार खड़े होने चाहिए”
खान एजाज़ अहमद ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की वकालत करते हुए कहा कि “एक निर्वाचन क्षेत्र से अधिक से अधिक उम्मीदवारों को खड़ा होने देना चाहिए। इससे जनता के पास बेहतर विकल्प होंगे।” उन्होंने कहा कि इससे यह भी पता चलेगा कि किस उम्मीदवार में वास्तव में जनता की सेवा करने की क्षमता है।
आरोप-प्रत्यारोप से हटकर आत्ममंथन की जरूरत
खान ने सुझाव दिया कि हार का कारण आत्ममंथन और अपनी कमियों को सुधारने की प्रक्रिया से ही निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि हार को स्वीकार करना ही परिपक्वता का संकेत है।
खान एजाज़ अहमद की इस बेबाक टिप्पणी ने न केवल पराजित उम्मीदवारों को बल्कि सभी राजनीतिक दलों को आत्ममंथन का संदेश दिया है। उनका यह संदेश लोकतंत्र की मूल भावना को बनाए रखने और देशहित में एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता पर जोर देता है। उनके अनुसार, हारने वाले नेताओं को अपनी कमजोरियों को पहचानकर जनता के विश्वास को फिर से जीतने की दिशा में काम करना चाहिए।