कश्मीरी शॉल विक्रेताओं से जबरन “जय श्री राम” बोलने का दबाव: महिला ने FIR होते ही माफी मांगी
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में दो कश्मीरी शॉल विक्रेताओं (पिता-पुत्र) के साथ बदसलूकी और जबरन “जय श्री राम” बोलने के लिए मजबूर करने के मामले में आरोपी महिला सुषमा ने अपनी गलती स्वीकार कर माफी मांगी है। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने सुषमा के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया है।
घटना का विवरण
कुपवाड़ा (जम्मू-कश्मीर) के निवासी अली मोहम्मद मीर और उनके बेटे फिरदौस अहमद मीर शॉल बेचने के लिए हिमाचल आए थे। कांगड़ा के आलमपुर इलाके में ब्लॉक डेवलपमेंट कमेटी (बीडीसी) सदस्य सुषमा ने उनसे सामान खरीदने से इनकार किया और उन्हें “जय श्री राम” बोलने के लिए मजबूर किया। विक्रेताओं ने इस घटना को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
सुषमा का बयान और माफी
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सुषमा ने कहा था कि सामान केवल हिंदू दुकानदारों से खरीदना चाहिए। उन्होंने खुद को बीडीसी सदस्य बताते हुए शॉल विक्रेताओं को अपने इलाके में न आने की धमकी दी। विवाद बढ़ने पर सुषमा ने 49 सेकंड के एक वीडियो संदेश में माफी मांगते हुए कहा, “मैं अपनी गलती स्वीकार करती हूं। अगर मैंने कुछ गलत कहा या किया है, तो इसके लिए माफी मांगती हूं।”
पुलिस कार्रवाई
कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री ने बताया कि सुषमा के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने घटना की कड़ी आलोचना की और आरोपी महिला के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। शॉल विक्रेताओं के बयान ने यह सवाल खड़ा किया कि किसी को धर्म के नाम पर प्रताड़ित करना संविधान और सामाजिक सद्भाव के खिलाफ है।
विक्रेताओं का पक्ष
अली मोहम्मद ने घटना पर कहा, “हम भारतीय हैं। अगर हम भारत में नहीं रहेंगे तो कहां जाएंगे? हम यहां शांति और सम्मान से अपना व्यापार करने आए हैं।”
मामले का असर
यह मामला धार्मिक सौहार्द और आपसी सम्मान पर गंभीर सवाल उठाता है। पुलिस की कार्रवाई और आरोपी की माफी के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस तरह की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी।