चुनावों में EVM पर संकट: कांग्रेस और विपक्षी दलों ने शुरू किया विरोध अभियान
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) एक बार फिर चर्चा का विषय बनी है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों में ईवीएम के उपयोग को लेकर दायर एक याचिका को खारिज कर दिया और इसे लेकर तीखी टिप्पणी की। अदालत ने कहा, “आप जीत जाएं तो ईवीएम सही है, हार जाएं तो गलत।” यह टिप्पणी एक बार फिर से ईवीएम पर उठने वाले सवालों की ओर इशारा करती है। अदालत ने इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं पर फटकार भी लगाई। हालांकि, इसके बावजूद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल ईवीएम को लेकर विरोध जता रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ तौर पर कहा कि उनकी पार्टी “ईवीएम से चुनाव नहीं चाहती”, और इसके खिलाफ देशभर में एक अभियान चलाने का मन बना चुकी है। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी ने भी एंटी-ईवीएम अभियान शुरू करने की घोषणा की है।
ईवीएम को लेकर उठते सवाल
ईवीएम (Electronic Voting Machines) के खिलाफ सवालों की लंबी सूची है। कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि चुनावों में इसका इस्तेमाल निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। उनका तर्क है कि अगर चुनाव में कोई दल जीतता है, तो ईवीएम को सही माना जाता है, लेकिन यदि कोई दल हारता है तो उसे ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका होती है। यह अजीब स्थिति लोकतंत्र की निष्पक्षता पर असर डाल सकती है।
भारत के अलावा दुनिया भर में ईवीएम पर विवाद
भारत में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर चिंता और विवाद सिर्फ अब नहीं उठे हैं, बल्कि दुनिया के कई देशों में भी इसका इस्तेमाल विवादित हो चुका है। दुनिया भर में कुछ देशों ने इसके प्रयोग को रोक दिया है, जबकि अन्य देश अब भी इस पर भरोसा करते हैं।
आइए, जानते हैं उन देशों के बारे में जिनमें ईवीएम का इस्तेमाल विवादित रहा है:
- नीदरलैंड (Netherlands):
नीदरलैंड ने सबसे पहले ईवीएम को बैन किया। वहां के चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल के बाद विवाद सामने आए थे, जिसके बाद ईवीएम को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। इसके बाद, वहां बैलट पेपर का इस्तेमाल किया जाने लगा। - जर्मनी (Germany):
जर्मनी में भी ईवीएम का इस्तेमाल हुआ, लेकिन इसे लोकतंत्र और मतदान की सही प्रणाली के खिलाफ पाया गया। जर्मन संविधान न्यायालय ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया, और इसके बाद जर्मनी में ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया गया। - इटली (Italy):
इटली में भी कुछ समय तक ईवीएम का प्रयोग हुआ, लेकिन विवादों के बाद वहां इसे हटा दिया गया और बैलट पेपर से चुनाव होने लगे। - पुर्तगाल (Portugal):
पुर्तगाल ने भी कुछ समय तक ईवीएम का इस्तेमाल किया, लेकिन इसके बाद चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी महसूस की गई, और वहां भी बैलट पेपर का विकल्प चुना गया। - फ्रांस (France) और इंग्लैंड (England):
इन दोनों देशों में अब ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता। यहां भी बैलट पेपर का ही इस्तेमाल होता है, क्योंकि तकनीकी खामियों और विवादों के कारण ईवीएम को छोड़ दिया गया। - अमेरिका (United States):
अमेरिका में कभी भी राष्ट्रीय चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया गया। हालांकि, कुछ राज्यों ने इसे अपनाने की कोशिश की थी, लेकिन तकनीकी खराबियों और हैकिंग के डर के कारण इसे छोड़ दिया गया। खासकर, 2000 के राष्ट्रपति चुनाव में फ्लोरिडा में बैलट पेपर की गिनती पर विवाद ने इस पर सवाल उठाए थे।
ईवीएम विवाद का प्रमुख कारण
ईवीएम के खिलाफ सबसे बड़ा आरोप यह है कि इन मशीनों को “हैक” किया जा सकता है, जिससे चुनाव परिणामों में गड़बड़ी हो सकती है। यह चिंता दुनियाभर के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच गहरी है।
टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नामी अमेरिकी व्यवसायी एलन मस्क ने भी कुछ समय पहले ही ट्वीट करते हुए ईवीएम की सुरक्षा पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि इन मशीनों को हैक किया जा सकता है, और यह चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
इसके अलावा, साइबर सुरक्षा (Cybersecurity) और तकनीकी खामियों (Technical Flaws) को लेकर भी चिंता व्यक्त की जाती है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ईवीएम के प्रयोग से चुनाव में पक्षपाती परिणाम आ सकते हैं।
भारत में ईवीएम का इतिहास
भारत में 90 के दशक तक बैलट पेपर के जरिए चुनाव कराए जाते थे। उस समय वोटों की गिनती में बहुत समय लगता था। इस समस्या से निपटने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 1989 में ईवीएम के निर्माण की शुरुआत की।
1998 में पहली बार विधानसभा चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। 2004 के आम चुनाव में पहली बार पूरे देश में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था। इसके बाद से भारत में हर चुनाव में ईवीएम का ही प्रयोग किया जा रहा है।
ईवीएम पर विश्वभर में खींचतान
भारत के अलावा, नामीबिया, नेपाल, भूटान और केन्या जैसे देशों ने भारत से ईवीएम खरीदी और इनका इस्तेमाल किया। वहीं, बांग्लादेश, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, रूस, मलेशिया और घाना जैसे देशों ने भी भारत की ईवीएम में गहरी रुचि दिखाई है।
हालांकि, दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में अब भी ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जाता और चुनाव बैलट पेपर से होते हैं। इन देशों ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए बैलट पेपर का इस्तेमाल जारी रखा है।
ईवीएम पर विवाद का सिलसिला लगातार जारी है और यह चुनावी प्रक्रिया में विश्वास को प्रभावित करता है। जहां एक ओर सरकार इसे पारदर्शी और सुरक्षित मानती है, वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि इस तकनीक पर विश्वास नहीं किया जा सकता। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में ईवीएम के उपयोग को लेकर क्या निर्णय लिए जाते हैं और क्या इसका विरोध और बढ़ता है।