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धर्म संसद में संतों की हुंकार: श्रीकृष्ण जन्मभूमि से मस्जिद हटाने की मांग, हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान

वृंदावन के केशवधाम सभागार में बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण के बैनर तले साधु-संतों की धर्म संसद आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में सैकड़ों संतों ने हिस्सा लिया और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से मस्जिद हटाने की मांग को लेकर अपनी सहमति जताई।

“हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत”

महामंडलेश्वर धर्माचार्य भागवत आचार्य ने धर्म संसद को संबोधित करते हुए कहा, “हिंदुओं को अपनी आस्था और सनातन धर्म की रक्षा के लिए एकजुट होने की आवश्यकता है। मुस्लिम पक्ष को अवैध निर्माण स्वयं हटा लेना चाहिए।” उन्होंने देश में जनसंख्या कानून लागू करने और गाय को राष्ट्र माता घोषित करने की भी मांग की।

“मूल विग्रह मस्जिद के नीचे दबा है”

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मूल विग्रह मस्जिद के नीचे दबा हुआ है। इसे मुक्त कराना हिंदुओं का कर्तव्य है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर सभी दस्तावेज न्यायालय में दाखिल कर दिए गए हैं। अब इस लड़ाई को तेज़ी से आगे बढ़ाने की जरूरत है।

संतों ने की सनातन बोर्ड की स्थापना की मांग

धर्म संसद में मौजूद संतों ने सनातन बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा, जो हिंदू धर्म से जुड़े मुद्दों को सशक्त तरीके से उठाए। संतों ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन के लिए अदालत में मजबूती से लड़ाई लड़ी जानी चाहिए।

“हिंदू धर्म का समय आ चुका है”

संतों ने कहा कि यह समय सनातन धर्म के उत्थान का है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि पूर्वजों की गलतियों को सुधारते हुए मस्जिद को स्वेच्छा से हटा लें।

मुख्य मांगें

  1. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से मस्जिद हटाने की कार्रवाई।
  2. देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किया जाए।
  3. गाय को राष्ट्र माता घोषित करने का कानून।
  4. सनातन बोर्ड की स्थापना।

यह धर्म संसद श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर हिंदू पक्ष के आंदोलन को एक बड़ा समर्थन प्रदान करती है। संतों का मानना है कि न्यायालय का फैसला सनातन धर्म के पक्ष में आने से एक नया अध्याय लिखा जाएगा।

खासदार टाइम्स

खासदार टाईम्स {निडर, निष्पक्ष, प्रखर समाचार, खासदार की तलवार, अन्याय पे प्रहार!} हिंदी/मराठी न्यूज पेपर, डिजिटल न्यूज पोर्टल/चैनल) RNI No. MAHBIL/2011/37356 संपादक - खान एजाज़ अहमद, कार्यकारी संपादक – सय्यद फेरोज़ आशिक

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