आख़िर योगी को मुस्लिम नामों से इतनी नफ़रत क्यों? रसूलाबाद घाट का नाम बदलकर अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद घाट कर दिया
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रयागराज के ऐतिहासिक रसूलाबाद घाट का नाम बदलकर अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद घाट कर दिया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ 2025 की तैयारियों के मद्देनजर लिया गया है।
चंद्रशेखर आज़ाद से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहर
रसूलाबाद घाट का ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यही वह स्थान है जहां अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद का अंतिम संस्कार किया गया था। नाम परिवर्तन के पीछे उद्देश्य उनके बलिदान को सम्मान देना और घाट के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करना है।
योगी सरकार का नाम बदलने का सिलसिला
यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐतिहासिक या धार्मिक स्थलों के नाम बदले हैं।
- इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या किया गया।
- मुगलसराय स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर और झांसी स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई नगर किया गया।
- लखनऊ मंडल के आठ रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदले गए, जिन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान दी गई।
सीएम योगी का उद्देश्य
योगी आदित्यनाथ का मानना है कि नामकरण का यह बदलाव भारतीय संस्कृति, महापुरुषों के योगदान और धार्मिक महत्व को उजागर करने का एक प्रयास है। उनके अनुसार, यह कदम नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का माध्यम है।
आलोचना और बहस
हालांकि, नाम बदलने की इस नीति को लेकर विपक्ष और कई सामाजिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं। कुछ का मानना है कि मुस्लिम नामों को हटाने का उद्देश्य धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना है। वहीं, सरकार के समर्थक इसे “संस्कृति और इतिहास के पुनरुत्थान” का कदम बताते हैं।
क्या कहता है इतिहास?
ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हैं कि रसूलाबाद घाट का नाम स्थानीय मुस्लिम समुदाय से जुड़ा था। नाम परिवर्तन को कुछ लोग सांप्रदायिक सोच का परिणाम मानते हैं।
क्या बदलता है नाम बदलने से?
नाम परिवर्तन से संबंधित बहस में सबसे अहम सवाल यह है कि क्या केवल नाम बदलने से सांस्कृतिक धरोहर का महत्व बढ़ जाता है, या इसके लिए उस स्थल के संरक्षण और विकास पर ध्यान देना अधिक आवश्यक है।
भविष्य का रास्ता
योगी सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में कई और ऐतिहासिक स्थलों और स्थानों के नाम बदले जा सकते हैं। यह कदम समाज में मिलीजुली प्रतिक्रिया ला रहा है—जहां कुछ इसे सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मानते हैं, तो कुछ इसे विभाजनकारी नीति का हिस्सा बताते हैं।
रसूलाबाद घाट का नाम बदलकर अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद घाट करने का उद्देश्य शहीद के बलिदान को सम्मान देना हो सकता है, लेकिन इसने समाज में एक नई बहस को जन्म दिया है। इतिहास और संस्कृति के नाम पर नाम बदलने की यह नीति आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाज दोनों में अहम भूमिका निभाएगी।