देवेंद्र फडणवीस: महाराष्ट्र की राजनीति के ‘किंगमेकर’ फिर बने मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस का एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद पर वापसी करना उनकी राजनीतिक कुशलता और रणनीतिक क्षमता का परिचायक है। 4 दिसंबर को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर उन्होंने अपने 2019 के चर्चित बयान “मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बना लेना. मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आउंगा” को सच साबित कर दिया।
बीजेपी की बंपर जीत और फडणवीस की अहम भूमिका
2024 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 132 सीटों पर जीत दर्ज की, जो महायुति गठबंधन में सबसे ज्यादा थी। शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं। इस जीत के हीरो देवेंद्र फडणवीस रहे। उनकी रणनीति और संगठन कौशल ने बीजेपी को मजबूती दी।
क्या 5 साल तक मुख्यमंत्री बने रह पाएंगे फडणवीस?
हालांकि, सवाल यह है कि क्या देवेंद्र फडणवीस 5 साल तक मुख्यमंत्री पद पर बने रह पाएंगे? बीजेपी ने हाल के वर्षों में हरियाणा, उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्यों में मुख्यमंत्री बदले हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसा होना संभावित है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।
आरएसएस से करीबी और संघ का समर्थन
देवेंद्र फडणवीस का आरएसएस से पुराना नाता उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता है। उनके पिता गंगाधर फडणवीस संघ और बीजेपी से जुड़े रहे। नागपुर के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र से विधायक फडणवीस का नागपुर (जहां आरएसएस का मुख्यालय है) से जुड़ाव उन्हें संघ का पूरा समर्थन दिलाता है। यह उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकता है।
महाराष्ट्र बीजेपी में कोई बड़ा विकल्प नहीं
फडणवीस महाराष्ट्र बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं। विधानसभा चुनाव में उनकी रणनीति और नेतृत्व ने बीजेपी को मजबूती दी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल महाराष्ट्र में उनके बराबर का कोई बड़ा नेता नहीं है, जो उनकी स्थिति को चुनौती दे सके।
किंगमेकर की भूमिका
2019 में शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने के बाद फडणवीस ने अपनी सरकार गंवाई। लेकिन 2022 में उन्होंने शिवसेना में फूट डालकर एकनाथ शिंदे को साथ लिया और सरकार बनाई। बाद में एनसीपी में भी फूट डालकर अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया। यह दिखाता है कि फडणवीस सत्ता संतुलन साधने और सरकार चलाने में माहिर हैं।
क्या बगावत से सरकार पर असर पड़ेगा?
महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा में किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है। बीजेपी के पास 132 सीटें हैं। अगर अजित पवार और एकनाथ शिंदे बगावत करते भी हैं, तो उनके पास बहुमत नहीं होगा। कांग्रेस के साथ मिलकर भी वे सरकार नहीं बना सकते।
इसके अलावा, शिंदे और पवार को इस बात का भय है कि अगर चुनाव हुए तो जनता का रुख उनके खिलाफ जा सकता है, जिससे उपमुख्यमंत्री का पद भी छिन सकता है।
आगे की राह
देवेंद्र फडणवीस के लिए आने वाले 5 साल चुनौतीपूर्ण जरूर होंगे, लेकिन उनकी राजनीतिक कुशलता, संघ का समर्थन, और महाराष्ट्र बीजेपी में उनकी मजबूत पकड़ उन्हें लंबे समय तक सत्ता में बनाए रख सकती है। यह देखना रोचक होगा कि वह महायुति के अंतर्विरोधों को कैसे संभालते हैं और राज्य में स्थिर सरकार देने की अपनी छवि को कैसे बनाए रखते हैं।