शपथ समारोह में नहीं दिखे शरद, उद्धव, राज: राजनीति में बढ़ रही दरार?
महाराष्ट्र के 20वें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार के शपथ ग्रहण समारोह ने राजनीति में नई हलचल मचा दी है। मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और डिप्टी सीएम ने शिरकत की। साथ ही फिल्म, खेल और उद्योग जगत की कई जानी-मानी हस्तियां भी मौजूद रहीं।
उद्धव, शरद और राज ठाकरे रहे नदारद
हालांकि, इस शपथ ग्रहण समारोह में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी (शरद) प्रमुख शरद पवार, एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले की अनुपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा। सवाल उठ रहा है कि क्या ये नेता प्रोटोकॉल के तहत आमंत्रण मिलने के बावजूद किन्हीं कारणों से शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए।
गैरहाजिरी के पीछे क्या कारण?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शरद पवार दिल्ली में व्यस्तता के चलते कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। राज ठाकरे की अनुपस्थिति का कारण व्यक्तिगत बताया गया, जबकि उद्धव ठाकरे और नाना पटोले ने अपनी गैरमौजूदगी पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं दी।
चुनावी हार की गहरी खाई
बीते चुनाव में महायुति गठबंधन ने शानदार जीत हासिल कर महाविकास अघाड़ी को करारी हार दी। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों गुटों के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप देखे गए। ऐसे में विपक्ष के नेता शपथ ग्रहण से दूर रहकर यह संकेत दे रहे हैं कि दोनों गुटों के बीच मतभेद गहराए हुए हैं।
क्या राजनीति में व्यक्तिगत रिश्ते बिगड़ चुके हैं?
शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी नेताओं की गैरहाजिरी से यह सवाल उठ रहा है कि क्या राजनीति में व्यक्तिगत रिश्ते बिगड़ चुके हैं? प्रोटोकॉल के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं को आमंत्रित करना और उनकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि लोकतंत्र में राजनीतिक सौहार्द्र बना हुआ है। लेकिन इस समारोह में विपक्ष की अनुपस्थिति ने राजनीति में कड़वाहट की ओर इशारा किया है।
आगे की राह कैसी होगी?
देवेंद्र फडणवीस ने अपने पहले ही बयान में विकास और सभी को साथ लेकर चलने की बात कही। अब देखना यह है कि सरकार किस तरह से अपने वादों को निभाती है और क्या विपक्ष के साथ संबंध सुधारने की कोई पहल होती है। फिलहाल, विपक्ष की अनुपस्थिति ने महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों और चुनौतियों के संकेत दिए हैं।