VHP के कार्यक्रम में शामिल होने वाले जज से इंसाफ़ की उम्मीद क्या करें? – असदुद्दीन ओवैसी
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में शामिल होकर विवादित बयान दिया। इस दौरान जज ने कहा कि भारत “बहुसंख्यकों की इच्छा के मुताबिक काम करेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि “हमारे बच्चे सहिष्णु और अहिंसक हैं क्योंकि वे वेद पढ़ते हैं।”
ओवैसी का तीखा पलटवार
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने जज यादव के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि “आरएसएस से जुड़े VHP को घृणा और हिंसा फैलाने के आरोप में कई बार प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे में एक जज का इस संगठन के कार्यक्रम में शामिल होना दुर्भाग्यपूर्ण है। संविधान न्यायपालिका से निष्पक्षता और तर्कसंगतता की अपेक्षा करता है।”
संविधान और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर जोर
ओवैसी ने अपने बयान में भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत का संविधान बहुमतवादी नहीं बल्कि लोकतांत्रिक है, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करता है। जैसा कि डॉ. अंबेडकर ने कहा था, ‘जैसे राजा को शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है, वैसे ही बहुमत को भी शासन करने का कोई दैवीय अधिकार नहीं है।'”
न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल
ओवैसी ने इस बयान को न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल उठाने वाला बताया। उन्होंने कहा, “अगर एक जज VHP के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं और इस तरह के बयान देते हैं, तो अल्पसंख्यकों को उनके सामने न्याय मिलने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?”
विवाद का असर
जज शेखर यादव के बयान और ओवैसी की प्रतिक्रिया से देश में एक नई बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने जज के इस बयान को संविधान की भावना के खिलाफ बताया है, जबकि समर्थक इसे व्यक्तिगत विचार कह रहे हैं।
यह मामला अब राजनीतिक और न्यायिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।