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मुस्लिम व्यक्ति द्वारा मकान खरीदने पर भड़का कट्टर हिंदू समुदाय, मकान के सामने पढ़ी हनुमान चालीसा
उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के प्रह्लाद नगर क्षेत्र में सांप्रदायिक विवाद ने एक बार फिर सामाजिक सौहार्द पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ जब इलाके के एक कपड़ा व्यापारी खैराती लाल ने अपना मकान इस्लामाबाद के एक मुस्लिम व्यक्ति को 32 लाख रुपये में बेच दिया। इस सौदे पर पड़ोसियों ने कड़ा विरोध जताया और मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया।
मामले की शुरुआत
- व्यापारी खैराती लाल की भगत सिंह मार्केट में कपड़ों की दुकान है।
- चार दिन पहले उन्होंने अपना मकान मुस्लिम व्यक्ति को बेचा और बयाने के रूप में 5 लाख रुपये ले लिए।
- सोमवार को पड़ोसियों को जब इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने इस पर आपत्ति जताई।
पड़ोसियों और स्थानीय पार्षद का विरोध
- पड़ोसियों ने इस सौदे को क्षेत्र की सामाजिक संरचना के लिए खतरा बताया।
- स्थानीय पार्षद अभिनव अरोड़ा के साथ मिलकर उन्होंने व्यापारी के घर के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया।
- पार्षद ने व्यापारी को बुलाकर स्पष्ट कहा कि मकान केवल हिंदू समुदाय के व्यक्ति को ही बेचा जाए।
सौदा रद्द करने का दबाव
- बढ़ते विरोध को देखते हुए खैराती लाल ने बयाना वापस कर सौदा रद्द कर दिया।
- पार्षद अभिनव अरोड़ा ने बाद में कहा कि मामला अब शांत है और किसी भी सांप्रदायिक टकराव की स्थिति नहीं है।
पिछली घटनाओं से तुलना
यह मामला उत्तर प्रदेश के उन कई विवादों की कड़ी में जुड़ता है, जहां मुस्लिम व्यक्ति को मकान बेचने पर विवाद हुआ:
- 28 अक्टूबर 2024: नौचंदी के पूर्वी कल्याण नगर में मकान बिकाऊ के पोस्टर लगे।
- 14 अगस्त 2024: शास्त्रीनगर एल ब्लॉक में मुस्लिम व्यक्ति को मकान बेचने पर विरोध।
- 20 दिसंबर 2017: मालीवाड़ा में मकान बिकाऊ के पोस्टर लगे।
समाज पर असर और चुनौतियां
इस तरह की घटनाएं सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देती हैं।
- यह सवाल उठता है कि क्या नागरिकों को अपनी संपत्ति बेचने का अधिकार पूरी स्वतंत्रता के साथ नहीं होना चाहिए?
- इन घटनाओं से सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचता है।
- ऐसे मामलों में प्रशासन को प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे।
समाधान की दिशा में विचार
- कानूनी जागरूकता: संपत्ति बेचने और खरीदने का अधिकार नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है।
- सामुदायिक संवाद: विभिन्न समुदायों के बीच विश्वास और संवाद बढ़ाने की जरूरत है।
- स्थानीय प्रशासन की सक्रियता: विवादों को तूल पकड़ने से पहले सुलझाने के लिए प्रशासन को सक्रिय रहना होगा।