दो से ज़्यादा बच्चे वाली मुस्लिम महिलाओं को न मिले लाडली बहन योजना का लाभ, नितेश राणे ने उगला ज़हर!
महाराष्ट्र में सत्ता पर काबिज महायुति की सरकार के लिए लाडली बहन योजना एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, लेकिन इस योजना पर नितेश राणे के विवादास्पद बयान ने राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है। बीजेपी विधायक नितेश राणे ने सुझाव दिया कि जिन मुस्लिम परिवारों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें लाडली बहन योजना का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।
क्या कहा नितेश राणे ने?
नितेश राणे ने कहा, “हर सरकारी योजना के ज्यादातर लाभार्थी मुस्लिम परिवार ही होते हैं। ऐसे में हिंदू परिवारों को लाभ कैसे मिलेगा? मैं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से निवेदन करूंगा कि आदिवासी समुदाय को छोड़कर, जिन भी परिवारों के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें इस योजना से बाहर रखा जाए।”
उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम समुदाय के लोग सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ उठाते हैं और उनके अनुसार यह अन्य समुदायों के साथ अन्याय है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
नितेश राणे के इस बयान पर तीखी आलोचना हो रही है।
- सामाजिक कार्यकर्ता संतोष राउत ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “नितेश राणे को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयानबाजी करने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं है क्या? क्या मुस्लिम समुदाय इस देश के नागरिक नहीं हैं? फिर उनके साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है?”
- KKL फारुख ने लिखा, “लाडली बहन योजना के पैसे नितेश राणे के बाप नारायण राणे के घर से नहीं आ रहे हैं। सरकार जनता के पैसे से योजनाएं चलाती है। ऐसे भेदभाव भरे बयान से नफरत फैलाने की कोशिश बंद होनी चाहिए।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस और एनसीपी ने राणे के बयान की निंदा करते हुए इसे “विभाजनकारी राजनीति” करार दिया। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा, “सरकार को सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। इस तरह के बयान समाज को तोड़ने का काम करते हैं।”
सरकार की स्थिति पर नजर
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, इस बयान ने महायुति सरकार के भीतर विवाद खड़ा कर दिया है और विपक्ष को एक नया मुद्दा दे दिया है।
लाडली बहन योजना को लेकर शुरू हुआ यह विवाद राजनीतिक गलियारों में गर्म बहस का विषय बन गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस पर कोई आधिकारिक रुख अपनाती है या इसे एक राजनीतिक बयान कहकर नजरअंदाज करती है।