अखिलेश यादव का सरकार पर हमला: मुसलमानों को ‘दूसरे दर्जे का नागरिक’ बनाने का आरोप
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को लोकसभा में सरकार पर संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को तोड़ने का आरोप लगाते हुए अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों को ‘दूसरे दर्जे का नागरिक’ बनाने का प्रयास किए जाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि यह सरकार समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही है।
संविधान और अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी
अखिलेश यादव ने ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा करते हुए कहा, “संविधान कहता है कि सरकार की नजर में सभी समान हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों पर हमला हो रहा है और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।” उन्होंने धार्मिक स्थलों पर विवाद बढ़ाने और मुसलमानों को उपासना में बाधा देने का आरोप लगाया।
जाति जनगणना की मांग
यादव ने जाति जनगणना को लेकर सरकार पर दबाव बनाया। उन्होंने कहा, “यदि यह सरकार जाति जनगणना नहीं कराती है, तो विपक्ष सत्ता में आने पर इसे जरूर कराएगा।”
प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर कटाक्ष
संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गैरमौजूदगी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, “यह कैसी चर्चा है संविधान की, जो है बिना प्रधान की।”
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश हिरासत में मौत और महिलाओं के उत्पीड़न के मामलों में सबसे आगे है।” उन्होंने साइबर अपराध में भी राज्य को सबसे ऊपर बताया।
अग्निपथ योजना का विरोध
अखिलेश यादव ने सेना में भर्ती के लिए लागू की गई ‘अग्निपथ’ योजना का विरोध करते हुए इसे युवाओं के भविष्य के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने कहा कि पुरानी भर्ती प्रणाली को बहाल करना ही बेहतर होगा।
देश की अर्थव्यवस्था और उद्योगपतियों पर चिंता
अखिलेश ने देश में उद्योगपतियों के भारत छोड़ने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मौजूदा माहौल उद्योगों के लिए अनुकूल नहीं है, और यह भारत की आर्थिक प्रगति के लिए घातक साबित हो सकता है।
‘पीडीए’ का समर्थन और संविधान का महत्व
अखिलेश यादव ने संविधान को ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के लिए जीवन और मरण का विषय बताते हुए इसे जनता का सबसे बड़ा संरक्षक बताया। उन्होंने कहा कि संविधान ने ही विविधताओं से भरे देश को एक सूत्र में बांधकर रखा है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब संविधान के मूल्यों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर बहस तेज हो रही है। अखिलेश यादव के इस भाषण ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा को जन्म दिया है।