कैबिनेट विस्तार: शिंदे गुट के दागी मंत्री हटाए गए, संजय राठौड़ ने बचाई कुर्सी
महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार का बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार हो गया है। नागपुर में आयोजित इस शपथ ग्रहण समारोह में महायुति के घटक दलों के विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) से 11 मंत्रियों को शामिल किया गया, जिनमें कई नए चेहरे, जैसे संजय शिरसाट, प्रताप सरनाईक, प्रकाश अबीटकर, और भरत गोगावले शामिल हैं।
दागी मंत्रियों को बाहर का रास्ता
दागी मंत्रियों पर कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत और अब्दुल सत्तार को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया। सावंत पर एंबुलेंस खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप था, जबकि सत्तार पर महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान और जमीन हड़पने के आरोप थे। वहीं, दीपक केसरकर को उनके कमजोर प्रदर्शन के चलते हटाया गया।
संजय राठौड़ की कुर्सी पर सवाल
भाजपा के विरोध और विवादों के बावजूद संजय राठौड़ ने अपनी कुर्सी बचा ली, जिससे यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है।
एकनाथ शिंदे की नाराजगी?
कैबिनेट विस्तार में एकनाथ शिंदे की भूमिका सीमित दिखाई दी। शिंदे को इस फैसले में शामिल नहीं किया गया, जिससे उनके और भाजपा हाईकमान के बीच मतभेदों की अटकलें तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, शिंदे अब भी मुख्यमंत्री पद न मिलने से असंतुष्ट हैं। उनके विभागों का फैसला भाजपा हाईकमान की बैठक में किया जाएगा।
शिंदे गुट की स्थिति पर सवाल
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए यह कैबिनेट विस्तार उनकी भूमिका और प्रभाव पर सवाल खड़े करता है। क्या भाजपा हाईकमान उनके प्रति अपना विश्वास खो रहा है, या शिंदे अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं?
यह कैबिनेट विस्तार न केवल राजनीतिक समीकरण बदलने वाला है, बल्कि महायुति सरकार के भीतर संभावित दरार की ओर भी इशारा करता है।