हिंदू एकता के दावों पर जातिवाद का साया: दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी में दबंगों का हंगामा
देश में एक ओर हिंदू एकता की बात की जा रही है, लेकिन दूसरी ओर समाज में जातिवाद की गहरी जड़ें इस एकता पर सवाल खड़ा कर रही हैं। बुलंदशहर के टिटौटा गांव में 11 दिसंबर को एक दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी के दौरान दबंगों ने जमकर हंगामा किया और न सिर्फ उसकी घुड़चढ़ी रोकने की कोशिश की, बल्कि मारपीट और अभद्रता तक की।
जातिवाद की हद: घोड़ी पर चढ़ने पर भी रोक
घटना के दौरान दूल्हे को घोड़ी से गिराने की कोशिश की गई, डीजे तोड़ दिया गया और बारात में आई महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया। आरोप है कि दबंगों ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर दलित समाज का अपमान किया। यह घटना इस बात को उजागर करती है कि जातिवाद की मानसिकता अभी भी समाज में कितनी गहराई से मौजूद है।
हिंदू एकता के दावे पर सवाल
देश में अक्सर हिंदू समाज की एकता की बात की जाती है, लेकिन ऐसे घटनाक्रम इस दावे को खोखला साबित कर रहे हैं। दलितों को केवल उनकी जाति के कारण अपमानित करना यह दिखाता है कि समाज में समानता और एकता का दावा अभी भी अधूरा है। क्या हिंदू समाज वाकई जातिवाद से ऊपर उठकर एकजुट हो सकता है, यह बड़ा सवाल है।
पुलिस की कार्रवाई और समाज में आक्रोश
घटना के बाद पुलिस ने मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और तहरीर के आधार पर जांच शुरू कर दी है। एसपी देहात रोहित मिश्रा ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दलितों का सम्मान कब?
यह घटना केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज पर हमला है। बार-बार इस तरह के अपमानजनक घटनाओं से यह सवाल खड़ा होता है कि दलित समाज को कब तक इस तरह की मानसिकता का सामना करना पड़ेगा। क्या समाज में जातिवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएंगे, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?
जातिवाद को खत्म करना होगा
जब तक हिंदू समाज जातिवाद को पूरी तरह से त्यागकर समता की दिशा में नहीं बढ़ेगा, तब तक ‘हिंदू एकता’ केवल एक नारा बनकर रह जाएगी। बुलंदशहर की यह घटना जातिवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत को उजागर करती है।