राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह की डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर की गई टिप्पणी पर कांग्रेस ने तीखा विरोध किया। विपक्षी दल ने इसे भाजपा और आरएसएस की “आंबेडकर विरोधी मानसिकता” का उदाहरण बताया और शाह से सार्वजनिक रूप से माफी की मांग की।
अमित शाह की टिप्पणी पर विवाद
गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर…। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।” इस बयान को कांग्रेस ने आंबेडकर का अपमान बताते हुए भाजपा और आरएसएस के नेताओं की नीयत पर सवाल उठाया।
कांग्रेस का आरोप
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, “जो लोग मनुस्मृति में विश्वास रखते हैं, वे निश्चित रूप से आंबेडकर के विचारों से सहमत नहीं हो सकते।” उन्होंने भाजपा पर आंबेडकर और उनके संविधान के प्रति नफरत रखने का आरोप लगाया।
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने अमित शाह के भाषण का वीडियो साझा करते हुए इसे “शर्मनाक” करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया, “भाजपा और आरएसएस के नेताओं में बाबा साहब के प्रति इतनी नफरत है कि उन्हें उनके नाम से भी चिढ़ होती है। ये वही लोग हैं, जिनके पूर्वज आंबेडकर के पुतले जलाते थे और संविधान को बदलने की बात करते थे।”
कांग्रेस नेताओं का तीखा हमला
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, “बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर भगवान के समान हैं। उनका संविधान करोड़ों लोगों के लिए एक पवित्र ग्रंथ है। अमित शाह ने इतनी उपेक्षा से बोलने की हिम्मत कैसे की?” उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की नफरत हमेशा से उजागर रही है और शाह के बयान ने इसे फिर से स्पष्ट कर दिया।
भाजपा के खिलाफ सियासी रणनीति
कांग्रेस ने इस मुद्दे को आंबेडकर की विरासत और दलित समाज के सम्मान से जोड़ते हुए भाजपा पर हमला तेज कर दिया है। पार्टी ने इसे भाजपा की “संविधान विरोधी” नीति का हिस्सा बताते हुए अमित शाह से माफी की मांग की।
राजनीतिक निहितार्थ
कांग्रेस इस विवाद के जरिए दलित समुदाय और संविधान समर्थकों को साधने की कोशिश कर रही है। वहीं, भाजपा ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यह मुद्दा संसद के अंदर और बाहर गर्माता हुआ नजर आ रहा है।