BMC चुनाव: शिवसेना (यूबीटी) और महायुति के बीच खींचतान, राजनीतिक हलचल तेज
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) और महायुति के बीच खींचतान ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया है।
शिवसेना (यूबीटी) का संकेत: अकेले लड़ सकती है चुनाव
शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता स्थानीय निकाय चुनावों में स्वतंत्र रूप से भाग लेना चाहते हैं। राउत ने कहा, “लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार दावेदार अधिक हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग है कि हम बीएमसी चुनाव में अकेले उतरें।”
राउत ने इस बात पर भी जोर दिया कि मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) की ताकत निर्विवाद है। उन्होंने कहा कि बीएमसी को जीतना पार्टी के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि यह शहर महाराष्ट्र की पहचान है।
महायुति का दावा: गठबंधन में लड़ा जाएगा चुनाव
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कर दिया है कि बीएमसी चुनाव सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के तहत लड़ा जाएगा। शिंदे ने कहा, “शिवसेना महायुति के अन्य दलों—भाजपा और एनसीपी (अजित पवार गुट)—के साथ मिलकर सभी 227 वार्डों में चुनाव लड़ेगी।”
एमवीए गठबंधन में दरार के संकेत
संजय राउत के बयान से महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में फूट के संकेत मिल रहे हैं। एमवीए गठबंधन में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) शामिल हैं। हालांकि, राउत ने कहा है कि पुणे, पिंपरी-चिंचवड़ और नासिक नगर निकायों में एमवीए गठबंधन बरकरार रहेगा।
25 साल तक शिवसेना का नियंत्रण
1997 से 2022 तक अविभाजित शिवसेना का बीएमसी पर 25 वर्षों तक नियंत्रण रहा। मार्च 2022 में पिछले निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से बीएमसी चुनाव नहीं हुए हैं।
चुनावी समीकरण और महत्व
मुंबई का बीएमसी चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना (यूबीटी) और महायुति के बीच खींचतान किस ओर जाती है। क्या एमवीए गठबंधन टूटेगा, या शिवसेना (यूबीटी) अकेले चुनाव लड़कर अपनी ताकत साबित करेगी? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे।