दिल्ली चुनाव: ओवैसी के एंट्री से मुस्लिम वोट बैंक पर खींचतान: ‘आप’ के लिए सियासी समीकरण कितना अनुकूल?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महरौली से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक नरेश यादव का चुनावी मैदान से हटना पार्टी के लिए राहत और चुनौती दोनों का संकेत देता है। पंजाब की एक अदालत द्वारा कुरान शरीफ की बेअदबी के मामले में नरेश यादव को दोषी ठहराए जाने और दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया।
मुस्लिम मतदाताओं के समर्थन पर नजर
महरौली मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, और इस मुद्दे के कारण आम आदमी पार्टी को मुस्लिम मतदाताओं के दूर जाने का खतरा था। नरेश यादव को फिर से टिकट दिए जाने के फैसले के बाद इस बात की चर्चा थी कि मुस्लिम समुदाय में नाराजगी बढ़ सकती है। हालांकि, उनके चुनाव मैदान से हटने से पार्टी को कुछ हद तक राहत मिल सकती है।
ओवैसी का प्रभाव और आप की चुनौती
इस बार दिल्ली चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। ओवैसी द्वारा कुरान शरीफ की बेअदबी का मुद्दा उठाने से आप को नुकसान होने की संभावना थी। यह पहला ऐसा चुनाव होगा जहां मुस्लिम मतदाता “आप” और अन्य दलों के मुद्दों और प्रत्याशियों की समीक्षा कर रहे हैं।
क्या होगा महरौली का भविष्य?
महरौली सीट पर नरेश यादव की अनुपस्थिति में “आप” को नया चेहरा उतारना होगा। इस बीच, भाजपा और कांग्रेस भी इस सीट पर अपना कब्जा जमाने की पूरी कोशिश में हैं। मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका इस चुनाव में निर्णायक हो सकती है।
सियासी समीकरणों पर असर
नरेश यादव के इस कानूनी संकट से “आप” को मुस्लिम समुदाय के बीच सफाई देने का अवसर मिला है, लेकिन ओवैसी की उपस्थिति ने इन सीटों पर मुकाबले को रोचक और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। अब देखना यह है कि क्या “आप” इस परिस्थिति को अपने पक्ष में मोड़ पाएगी या मुस्लिम मतदाता अन्य विकल्पों की ओर रुख करेंगे।
यह चुनाव सिर्फ महरौली के लिए नहीं, बल्कि दिल्ली की राजनीति में मुस्लिम समुदाय के बदलते रुझान का भी प्रतिबिंब साबित होगा।