शिवसेना के लिए शिंदे का भावुक फैसला: उद्धव ठाकरे को सौंपेंगे पुराना अधिकार
2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद राज्य की सियासत ने एक नई करवट ली। महायुति गठबंधन की शानदार जीत के बावजूद, महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। एकनाथ शिंदे, जो पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थे, अब उपमुख्यमंत्री बन गए हैं, और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाल लिया है।
शिवसेना और शिंदे का समीकरण
एकनाथ शिंदे ने 2022 में शिवसेना से बगावत करते हुए उद्धव ठाकरे की सरकार गिराई थी। चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम, चुनाव चिह्न, और यहां तक कि संपत्तियों का स्वामित्व भी शिंदे गुट को दे दिया था। लेकिन 2024 के चुनाव नतीजों ने शिंदे की सियासी स्थिति को बदल दिया। महायुति गठबंधन में शिंदे अब बीजेपी के अधीन हो गए हैं।
हालांकि, शिंदे के पास अब भी शिवसेना की संपत्ति और बैंक खाते का स्वामित्व है। इस पर बीजेपी का कोई अधिकार नहीं है, और यही शिंदे की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को दिलचस्प बनाता है।
शिवसेना की संपत्ति और शिंदे का बड़ा फैसला
सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे ने फैसला लिया है कि वे 2022 से पहले शिवसेना के बैंक खाते में जमा धनराशि को उद्धव ठाकरे को लौटा देंगे। रिपोर्ट्स की मानें तो शिवसेना के खाते में 190-200 करोड़ रुपये तक हो सकते हैं। शिंदे ने यह कदम उठाकर शिवसेना की संपत्ति और बैंक खातों पर स्वामित्व की लड़ाई खत्म करने का संकेत दिया है।
शिवसेना की संपत्तियां
शिवसेना के पास कुल 82 बड़े कार्यालय और मुंबई में 227 छोटे-छोटे कार्यालय हैं। दादर में स्थित शिवसेना भवन और पार्टी का मुखपत्र ‘सामना’ अभी भी उद्धव ठाकरे के अधीन है। ‘सामना’ के स्वामित्व वाली संपत्ति एक ट्रस्ट द्वारा संचालित होती है, जिसमें उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे और वरिष्ठ नेता अरविंद सावंत शामिल हैं।
शिंदे के फैसले का असर
एकनाथ शिंदे का यह फैसला उनकी बदलती राजनीतिक रणनीति का संकेत देता है। यह न केवल उद्धव ठाकरे के प्रति एक सकारात्मक पहल है, बल्कि बीजेपी के साथ उनके रिश्ते में बढ़ते तनाव का भी संकेत हो सकता है।
आगे की राह
क्या शिंदे शिवसेना के चुनाव चिह्न को भी उद्धव ठाकरे को सौंप देंगे? क्या वे फिर से उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन की ओर बढ़ेंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेंगे।
इस घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति को नई बहस का मुद्दा दे दिया है। एक तरफ बीजेपी के साथ गठबंधन और दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे के साथ सुलह के संकेत शिंदे की स्थिति को और पेचीदा बना रहे हैं। अब देखना यह है कि यह राजनीतिक मोड़ महाराष्ट्र के सियासी परिदृश्य को कितना बदलता है।