राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में मंदिर-मस्जिद विवादों के बार-बार उठने पर चिंता व्यक्त की है। उनके इस बयान पर देशभर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहे पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए कहा, “मैंने मोहन भागवत के भाषण का समर्थन किया था। हम सबने निर्णय लिया था कि हमें तीन मंदिर चाहिए—अयोध्या, मथुरा और काशी। अयोध्या का समाधान हो चुका है, मथुरा का मामला अदालत में है और काशी भी साबित हो जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा दिया है। अब हमें मस्जिदों में मंदिर ढूंढने का प्रयास बंद कर देना चाहिए। देश में शांति और सौहार्द बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
मोहन भागवत के इस बयान को जहां एक ओर कई संगठनों और नेताओं का समर्थन मिला है, वहीं दूसरी ओर कुछ समूहों ने इसे संघ की पुरानी विचारधारा से अलग बताते हुए आलोचना भी की है।
संघ प्रमुख और राम विलास वेदांती के इन बयानों से यह संकेत मिलता है कि मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर अब आगे की राह शांति और संवाद की दिशा में हो सकती है।