वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर मोदी सरकार की मुहर, कांग्रेस ने बताया असंभव
मोदी सरकार के ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद देशभर में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। समिति ने सुझाव दिया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, और इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी संपन्न किए जाएं।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के तहत पूरे देश में एक ही समय पर सभी चुनाव कराए जाने की बात कही गई है, जिससे समय और धन की बचत होगी। हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर विपक्ष में असहमति भी सामने आई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह नीति व्यवहारिक रूप से लागू नहीं हो सकती। उन्होंने तर्क दिया कि अलग-अलग राज्यों की राजनीतिक और प्रशासनिक स्थितियों के कारण इस प्रकार का चुनाव प्रबंधन करना संभव नहीं है।
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का उद्देश्य चुनावी खर्च को कम करना, बार-बार चुनाव आचार संहिता लागू होने से प्रशासनिक कार्यों में रुकावट को कम करना और संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करना है। हालांकि, इसके विरोधी तर्क देते हैं कि इससे लोकतंत्र को नुकसान हो सकता है, क्योंकि राज्यों और केंद्र के मुद्दे अलग-अलग होते हैं, जिन पर जनता को अलग समय पर फैसला करने का अधिकार होना चाहिए।
अब इस प्रस्ताव पर आगे की कार्यवाही का इंतजार है, जबकि देशभर में इसके पक्ष और विपक्ष में बहस जारी है।