मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे की सभी मांगें होगी पूरी? सरकार के साथ अहम बैठक आज
Maratha Reservation
जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटील ने छठी बार अनशन शुरू किया है। आज (22 तारीख) को उनके उपवास का छठा दिन है, और उनकी सेहत लगातार गिरती जा रही है। इसे देखते हुए महाराष्ट्र सरकार सक्रिय हो गई है और मुंबई में देर रात महत्वपूर्ण बैठकें हुईं।
शनिवार रात, पुणे के कुछ मराठा आंदोलनकारी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात करने मुंबई पहुंचे थे। हालांकि मुख्यमंत्री उस समय मुंबई में मौजूद नहीं थे, इसलिए उनकी जगह राज्य मंत्री शंभूराज देसाई ने आंदोलनकारियों से मुलाकात की। उन्होंने आंदोलनकारियों के साथ लगभग डेढ़ घंटे तक बैठक की, जिसमें मनोज जरांगे पाटील की प्रमुख मांगों पर चर्चा की गई।
बैठक के बाद शंभूराज देसाई ने मीडिया को बताया कि सरकार जरांगे पाटील के उपवास को जल्द से जल्द समाप्त करवाने की कोशिश में जुटी है। सोमवार को इस संबंध में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मराठा समाज के प्रतिनिधियों के बीच महत्वपूर्ण चर्चा होगी।
शंभूराज देसाई ने बताया कि मराठा समाज के आरक्षण के मुद्दे पर सरकार ने अब तक कई कदम उठाए हैं। सरकार सोमवार को तीन पूर्व न्यायाधीशों के साथ चर्चा करने वाली है ताकि कानूनी रास्ते से आरक्षण का हल निकाला जा सके। इसके अलावा, आंदोलन के दौरान मराठा आंदोलनकारियों पर दर्ज 34 मामलों को छोड़कर बाकी मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इस विषय पर गृहमंत्री से भी चर्चा की जाएगी।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने व्यक्तिगत रूप से मनोज जरांगे पाटील को अस्पताल में भर्ती होने का अनुरोध किया है। हालांकि, पाटील ने अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया और केवल सलाईन लगाकर अपना उपवास जारी रखा है। शंभूराज देसाई ने बताया कि उन्होंने जरांगे पाटील से खुद विनती की थी, लेकिन पाटील ने सख्ती से अपना अनशन जारी रखा है।
सरकार कुनबी प्रमाणपत्रों की प्रक्रिया को भी तेज कर रही है। देसाई ने बताया कि हैदराबाद गजट के मुद्दे पर जब सरकार ने बैठक बुलाई थी, तब विपक्ष उसमें शामिल नहीं हुआ, जिससे सरकार को निराशा हुई है।
आज सुबह 12 बजे मराठा आंदोलनकारियों के 5 प्रतिनिधियों का शिष्टमंडल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात करेगा। यह बैठक तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति में होगी, और इसमें मराठा आरक्षण की मांग पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। अब सभी की नजर इस बात पर है कि क्या मनोज जरांगे पाटील की मांगें मानी जाएंगी और मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण मिलेगा या नहीं।