महाराष्ट्र चुनाव: आचार संहिता के चलते ‘लाड़की बहन योजना’ पर चुनाव आयोग की रोक
इस बार के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला मुद्दा शिंदे सरकार की घोषित ‘लाड़की बहन योजना’ है। यह योजना महिला मतदाताओं पर सीधा प्रभाव डालने वाली है, जिसके चलते केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को इसे रोकने का निर्देश दिया है। इसी के अनुसार, राज्य के महिला और बाल कल्याण विभाग ने इस योजना को फिलहाल रोक दिया है। शिंदे सरकार पहले ही नवंबर महीने के पैसे महिलाओं को दे चुकी है, इसलिए अब चुनाव के बाद दिसंबर महीने में इस योजना का भविष्य क्या होगा, यह स्पष्ट हो पाएगा।
शिंदे सरकार के अजित पवार गुट के दो मंत्रियों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। राज्य के सहकार मंत्री दिलीप वळसे पाटील और अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबळ ने अपनी राय दी है।
दिलीप वळसे पाटील की प्रतिक्रिया:
वळसे पाटील ने कहा, “चुनाव आयोग ने लाड़की बहन योजना को रोक दिया है। इस मुद्दे पर विपक्ष आपको भ्रमित करने की कोशिश करेगा। यह योजना जुलाई महीने में शुरू हुई थी और यह अब चौथे महीने में है। चार महीनों के 6000 रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन हमारी बहनों को 7500 रुपये मिले हैं। यह अतिरिक्त 1500 रुपये आपको अगले महीने के एडवांस के रूप में दिए गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार को पहले से पता था कि चुनाव आयोग आचार संहिता के तहत चुनाव के दौरान इस योजना पर रोक लगा देगा। इसलिए हमने पहले ही कैबिनेट में निर्णय लेकर एक महीने का एडवांस पैसा दिया है। चुनाव के बाद यह पैसा आपको फिर मिलता रहेगा। इसलिए किसी भी भ्रम में न आएं।”
छगन भुजबळ की प्रतिक्रिया:
मंत्री छगन भुजबळ ने कहा, “बहुत कम लोग ऐसे हैं जिन्हें लाड़की बहन योजना के पैसे नहीं मिले हैं। 98 प्रतिशत से ज्यादा हमारी महिला बहनों को इसका लाभ मिल चुका है। यह हमारी स्थायी योजना है, जिसे सिर्फ चुनाव के लिए नहीं लाया गया है। महिलाओं को इसका लाभ मिलता रहेगा।”