IAS शैलबाला मार्टिन के लाउडस्पीकर पर बयान से मचा विवाद, हिंदू संगठनों ने जताया विरोध
मध्य प्रदेश की चर्चित आईएएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मंदिरों में लगे लाउडस्पीकर के बारे में सवाल उठाया, जिसके बाद विवाद उत्पन्न हो गया है। हिंदू संगठनों ने उनके बयान का विरोध किया है, जबकि कांग्रेस ने इसे एक वाजिब सवाल बताया है।
शैलबाला मार्टिन का विवादित बयान
शैलबाला मार्टिन ने अपने पोस्ट में लिखा कि मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर कई गलियों तक ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं और आधी रात तक बजते रहते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या इससे किसी को परेशानी नहीं होती। यह पोस्ट उन्होंने एक अन्य उपयोगकर्ता के ट्वीट को रीपोस्ट करते हुए लिखा था। इसके बाद संस्कृति बचाव मंच जैसे हिंदूवादी संगठनों ने उनकी टिप्पणी पर नाराजगी जताई।
प्रतिक्रिया और विरोध
संस्कृति बचाव मंच के अध्यक्ष पंडित चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि कोई भी व्यक्ति हिंदू धर्म की आस्था को ठेस पहुंचाने का प्रयास करेगा, तो उनका विरोध किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मंदिरों में आरती और मंत्रों का उच्चारण होता है, जबकि लाउडस्पीकर पर दिन में पांच बार अजान नहीं बोली जाती। तिवारी ने सवाल किया कि शैलबाला ने कब किसी मोहर्रम के जुलूस पर पथराव होते हुए देखा, जबकि हिंदुओं के जुलूस पर ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि शैलबाला मार्टिन को हिंदू धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है।
कांग्रेस का समर्थन
दूसरी ओर, कांग्रेस के प्रवक्ता अब्बास हफीज ने शैलबाला मार्टिन का समर्थन करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार में लाउडस्पीकर पर कार्रवाई राजनीति से प्रेरित होती है। उन्होंने कहा कि अगर धर्म के आधार पर लाउडस्पीकर पर कार्रवाई की जाएगी, तो यह प्रशासनिक अधिकारियों के लिए बोलने के लिए मजबूर करने वाली स्थिति होगी।
प्रशासनिक अधिकारी की स्थिति
शैलबाला मार्टिन ने एक यूजर के कमेंट का जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा जारी किए गए आदेशों में सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने और डीजे पर प्रतिबंध लगाने का उल्लेख था। उन्होंने इसे सुविचारित निर्णय बताया और कहा कि अगर सभी समुदायों के धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटा दिए जाएं और डीजे बंद कर दिए जाएं, तो यह सभी के लिए राहत की बात होगी।
इस विवाद ने मध्य प्रदेश में धार्मिक ध्वनि प्रदूषण के मुद्दे को एक बार फिर से उठाया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ कैसे विकसित होती हैं और क्या इस पर प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई होती है। शैलबाला मार्टिन के बयान ने विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच भावनाओं को भड़काया है, और इसके परिणामस्वरूप प्रदेश की राजनीति में और हलचल पैदा हो सकती है।