कमल खिलेगा, मशाल जलेगी या पतंग उड़ेगी! धुले में मतदान के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म
धुले शहर विधानसभा क्षेत्र में बुधवार को मतदान प्रक्रिया बेहद रोमांचक माहौल में संपन्न हुई। निर्वाचन आयोग के अनुसार, इस बार कुल 58.71% मतदान हुआ, जो पिछली बार की तुलना में थोड़ा अधिक है। हालांकि, यह बढ़ा हुआ मतप्रतिशत अभी भी उम्मीदों से कम है। चुनावी रणभूमि में इस बार भाजपा, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), एमआईएमआईएम, समाजवादी पार्टी और वंचित बहुजन आघाडी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
मुख्य उम्मीदवारों में तीखी टक्कर
धुले विधानसभा सीट पर प्रमुख दावेदारों में भाजपा के अनूप अग्रवाल, शिवसेना (उद्धव गुट) के अनिल गोटे, एमआईएमआईएम के फारुक अन्वर शाह और समाजवादी पार्टी के इर्शाद जहागिरदार शामिल हैं। इसके अलावा वंचित बहुजन आघाडी के जितेंद्र शिरसाठ ने भी अंतिम समय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा के अनूप अग्रवाल के लिए इस बार मुस्लिम और वंचित वर्गों के मतों का विभाजन एक बड़ी चुनौती बन सकता है। शिवसेना के अनिल गोटे और एमआईएमआईएम के फारुक शाह अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूती से डटे हुए हैं, जिससे त्रिकोणीय संघर्ष के संकेत मिल रहे हैं।
भाजपा के अभियानों का असर
भाजपा ने इस बार अपने “बटेंगे तो कटेंगे” और “एक है तो सेफ हैं” जैसे अभियानों के जरिए मतदाताओं को संगठित करने का प्रयास किया। साथ ही, महायुती की लाडकी बहिण योजना और भाऊबीज कार्यक्रम के जरिए महिला मतदाताओं को सक्रिय रूप से मतदान में शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया।
पिछली बार कम मतदान वाले क्षेत्रों में इस बार भाजपा के प्रभावशाली अभियानों के कारण काफी वृद्धि देखी गई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इससे भाजपा के अनूप अग्रवाल को बढ़त मिल सकती है।
मुस्लिम मतदाताओं में उत्साह
धुले शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों जैसे मोगलाई, मिल परिसर, मोहाडी और साक्री रोड में मतदान के प्रति काफी उत्साह देखा गया। शुरुआती घंटों में मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लगीं। हालांकि दोपहर में मतदान की गति थोड़ी धीमी हुई, लेकिन शाम 4 बजे के बाद फिर से मतदान ने रफ्तार पकड़ी।
महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। सातपुड़ा हाई स्कूल, मोहाडी के मतदान केंद्र और नूतन पाडवी हाई स्कूल में मतदान प्रक्रिया रात 8 बजे तक जारी रही।
क्या कहते हैं राजनीतिक समीकरण?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। हालांकि, मुस्लिम वोटों के विभाजन और वंचित बहुजन आघाडी के प्रभाव को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अब सभी की निगाहें मतगणना के दिन पर टिकी हैं। क्या धुले में भाजपा का कमल खिलेगा, या शिवसेना की मशाल लहराएगी, या फिर एमआईएमआईएम की पतंग ऊंची उड़ान भरेगी? यह देखना दिलचस्प होगा।