संभल हिंसा: जामा मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में तीन मुस्लिम युवकों की मौत, असदुद्दीन ओवैसी ने पुलिस को ठहराया जिम्मेदार
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार (24 नवंबर, 2024) को शाही जामा मस्जिद में सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए। आक्रोशित भीड़ ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। प्रशासन ने स्थिति को काबू में लाने के लिए इलाके में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी हैं।
घटना का सिलसिला
संभल की शाही जामा मस्जिद में रविवार सुबह कोर्ट के आदेश पर सर्वेक्षण टीम पहुंची। टीम में जिला प्रशासन और पुलिस बल शामिल थे। स्थानीय लोगों को जब सर्वेक्षण की जानकारी मिली, तो वे विरोध प्रदर्शन करने के लिए मस्जिद के बाहर इकट्ठा हो गए। भीड़ ने सर्वेक्षण टीम को अंदर जाने से रोकने की कोशिश की, जिसके चलते स्थिति बिगड़ गई।
कुछ ही समय में प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने पहले स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से संभालने की कोशिश की, लेकिन जब हालात बेकाबू हो गए, तो आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया।
हिंसा के बाद स्थिति
इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई, जबकि दर्जनों घायल हुए। एसपी संभल ने तीन मौतों की पुष्टि की है। पुलिस ने कहा कि घटना के दौरान भीड़ ने सुरक्षाबलों पर हमला किया और जवाब में सख्त कार्रवाई करनी पड़ी। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
ओवैसी ने पुलिस को ठहराया जिम्मेदार
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा:
“तुझको कितनों का लहू चाहिए ऐ अर्ज़-ए-वतन? जो तिरे आरिज-ए-बे-रंग को गुलनार करें।”
ओवैसी ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की फायरिंग की कड़ी निंदा की। उन्होंने दावा किया कि तीन युवकों की मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई है। ओवैसी ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने मारे गए युवकों के लिए अल्लाह से दुआ करते हुए लिखा कि इस दुखद घटना ने सांप्रदायिक सद्भाव को ठेस पहुंचाई है।
मौलाना अरशद मदनी का बयान
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस घटना को मुसलमानों के खिलाफ साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, “यह घटना न केवल मुसलमानों के खिलाफ है, बल्कि उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। वक्फ कानून में बदलाव और मुसलमानों के अधिकारों को खत्म करने की साजिशों का यह हिस्सा है।”
प्रशासन की सफाई
प्रशासन का कहना है कि जामा मस्जिद का सर्वेक्षण कोर्ट के आदेश के तहत किया जा रहा था। अधिकारियों ने कहा कि सर्वे से पहले सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे, लेकिन स्थानीय लोगों ने अचानक हिंसा शुरू कर दी। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित कार्रवाई की।
राजनीतिक विवाद
यह घटना राजनीतिक विवाद का कारण बन गई है। एआईएमआईएम, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और कई अन्य मुस्लिम संगठनों ने इस घटना को सरकार की विफलता बताया है। असदुद्दीन ओवैसी और मौलाना मदनी ने इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ साजिश करार देते हुए न्याय की मांग की है।
इलाके में तनाव
संभल में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं, और इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है। प्रशासन ने कहा है कि हिंसा फैलाने वालों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सर्वेक्षण के तरीके और समय पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि यह कार्रवाई रविवार सुबह की गई, जिससे विवाद बढ़ा।
संभल हिंसा ने राज्य और देशभर में सियासी और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा दिया है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन और सरकार इस मामले को कैसे संभालते हैं।